किसे पता
मंजिल अभी और दूर कितनी, किसे पता है मिलेंगें राह में कांटें या कलियां, किसे पता है फर्ज मुसाफिर का
Read Moreसुबह के काम निपटाकर नाश्ता लेकर बैठी थी, एक हाथ में चाय का कप और दूसरे में टीवी. का रिमोट
Read Moreचांद की तरह वो अक्सर, बदल जाते हैं। मतलब अली काम होते निकल जाते हैं॥ स्वाद रिश्तों का कडवा,
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