‘बहन जी’ की बौखलाहट
लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से बसपा की मालकिन मायावती की बौखलाहट देखने लायक है. हमेशा जातिवाद की राजनीति करने की अभ्यस्त ‘बहन जी’ इस बार अपनी ही चाल से बुरी तरह पिटी हैं. वे अपने किसी भी उम्मीदवार को भवसागर पार कराने में असफल रही हैं. उनका बौखलाना स्वाभाविक है, लेकिन इस बौखलाहट में आत्म-निरीक्षण करने की जगह वे दूसरों पर दोष डाल रही हैं.
१. “सामाजिक इंजीनियरिंग” असफल होने की उनकी शिकायत बेमतलब है. पिछली बार उनको कथित ऊँची जातियों के कुछ वोट केवल इसलिए मिले थे कि लोग मुलायम सिंह की पार्टी की गुंडागिर्दी से ऊब गए थे. वैसे भी ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ जैसा नारा देने वाली पार्टी को ऊँची जातियों से शिकायत करने का कोई अधिकार नहीं है.
२. अभी भी मायावती को यह ग़लतफ़हमी है कि उनका दलित वोट बैंक (जिसके अस्तित्व से वे अभी तक इनकार ही करती रही हैं और खुद को सर्व समाज का प्रतिनिधि बताती रही हैं) अभी भी उनके साथ है. आंकड़े इसकी गवाही नहीं देते. उनको भले ही 10 लाख वोट अधिक मिले हैं, लेकिन प्रतिशत बहुत कम हुआ है, क्योंकि मतदान अधिक हुआ है. उनको प्राप्त मत, दलित वर्ग के प्रतिशत से बहुत कम है, क्योंकि उनके अन्य जातियों और मुसलमानों के भी थोड़े बहुत वोट मिले हैं.
३. उनके द्वारा मुसलमानों पर गुस्सा उतारना भी बेबकूफी ही कह जाएगी, क्योंकि मुस्लिम समाज को बरगलाने में उनकी भूमिका कांग्रेस, सपा जैसे दलों और आज़म खान, बुख़ारी, ओवैसी, आज़मी जैसे नेताओं से किसी भी प्रकार कम नहीं रही है. आज जब मुसलमानों का वोट बंट गया है और प्रदेश से लोकसभा में उसके प्रतिनिधियों की संख्या शून्य हो गयी है, तो इसकी बड़ी जिम्मेदारी मायावती की भी है.
४. बहन जी, हमेशा दलित वर्ग की आवाज उठाने का दंभ करती आई हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्होंने दलितों द्वारा दी गयी ताकत का उपयोग हमेशा भ्रष्टाचार करके व्यक्तिगत संपत्तियां बनाने में किया है. इससे भी अधिक आपत्तिजनक बात यह हुई कि सीबीआई से अपने को बचाने के लिए उन्होंने अपनी सारी ताकत कांग्रेस की केंद्र सरकार को बनाये रखने में लगा दी थी. ऐसे में उनको कांग्रेस-समर्थन का खामियाजा भुगतना ही था.
इसलिए, बहन जी, आप हवाई बातों को छोड़कर जमीन पर उतरें और सही रूप में आत्म-निरीक्षण करें. चुनाव आगे भी आयेंगे. अगर आगे भी आपका यही रवैया रहा, तो ऐसा ही हाल आगे भी होगा. आपकी राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता भी समाप्त होने वाली है. उसे बचाने के बारे में बाद में सोचना, पहले सीबीआई से बचने का मार्ग तलाशिये. आपने जो घोटाले किये हैं, उनकी सजा भुगतने के लिए तैयार हो जाइये.
जय श्री राम ! नमो नमो !!
प्रिय विजय भाई जी, आपने बहनजी को अच्छी सीख दी है, मान जाएं बहन जी, तो हवाई बातों को छोड़कर जमीन पर उतर पाएंगी. एक अच्छे समसामयिक, बेबाक लेख के लिए आभार.
अच्छा लेख. आपने मायावती की मानसिकता को सही रूप में उजागर किया है.