सोनिया गाँधी का तत्व ज्ञान
चुनाव परिणाम आने के पूरे 8 दिन बाद कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गाँधी को तत्व ज्ञान हो गया है कि उन्होंने जनता का मूड भांपने में गलती की. मैडम ने यह नहीं बताया कि जिस बात को देश का बच्चा-बच्चा कई साल पहले से जानता है वह ज्ञान उन्हें इतनी देर से क्यों प्राप्त हुआ? क्या वे समाचार पत्र नहीं पढ़तीं?
अगर अखबारी मूड को छोड़ भी दिया जाये, तो लगभग 6 महीने पहले हुए कुछ राज्यों केविधान सभा चुनावों में उनको अवश्य इस सत्य का ज्ञान हो जाना चाहिए था कि जनता कांग्रेस से बुरी तरह तंग आ गयी है और जल्दी से जल्दी उससे अपना पिंड छुड़ाना चाहती है. इन चुनावों में कांग्रेस को लगभग हर राज्य में बुरी तरह मात मिली थी. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में आई थी तथा राजस्थान में उसने प्रचंड बहुमत से कांग्रेस से सत्ता छीनी थी. यहाँ तक कि दिल्ली जैसे राज्य में आआपा जैसी नयी पार्टी ने उसको भारी अंतर से तीसरे स्थान पर धकेल दिया था, जबकि कांग्रेस वहां 15 साल से सत्ता में थी.
अगर तब भी सोनिया गाँधी की आँखें नहीं खुलीं, तो तब जरुर खुल जानी चाहिए थीं, जब राहुल गाँधी और स्वयं उनकी सभाओं में पंडाल खाली रहते थे और मोदी जी की छोटी-मोटी सभाओं में भी भारी भीड़ इकट्ठी हो जाती थी. लेकिन तब भी वे यही कहती रहीं कि मोदी जी की देश में कोई लहर नहीं है, यह अख़बारों की बनायी हुई नकली हवा है.
सत्य से मुंह चुराने की इस प्रवृत्ति के कारण ही यह हाल हुआ है कि जो कांग्रेस पिछले दस वर्ष से सत्ता पर काबिज थी, आज उसकी औकात किसी मान्यता प्राप्त विरोधी दल से भी कम रह गयी है. अफ़सोस इस बात का है कि कांग्रेस अब भी इस शुतुरमुर्गी नीति पर चल रही है, क्योंकि अपनी गलतियाँ स्वीकार करने के बजाय वह अन्य कारणों को अपनी भारी पराजय के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है.
वैसे एक सवाल यह भी उठता है कि अगर कांग्रेस को चुनावों से दो-चार या दस-बीस महीने पहले ही जनता के मूड का पता चल भी जाता, तो वह क्या करती? क्या वह अपने घोटालों से बेदाग़ निकलने में सफल हो जाती? क्या वह जनता को उसकी मूल आवश्यकताएं उपलब्ध कराने में सफल हो जाती? क्या वह मोदी जी की लहर को रोक देती? इन सवालों का जबाब सोनिया मैडम ही दे सकती हैं.
प्रिय विजय भाई जी, सोनिया मजबूर है. कहते हैं, ‘श्रद्धावानम लभते ज्ञानम’, पर वह तो ‘राहुलवानम’ है, शायद आपके लेख से ‘लभते ज्ञानम’ हो सके. एक अच्छे समसामयिक, बेबाक लेख के लिए आभार.