स्मृति ईरानी की शिक्षा पर सवाल और बवाल
कई स्वयंभू बुद्धिजीवी खास तौर पर कांग्रेसी इस बात पर बवाल कर रहे हैं कि स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्री (शिक्षा मंत्री) बनाकर मोदी जी ने गलत किया है, क्योंकि वे केवल इंटरमीडिएट पास हैं.
वे लोग यह भूल जाते हैं कि इंदिरा गाँधी, जो तीन-चार बार देश की प्रधान मंत्री रहीं, इंटर भी पास नहीं थीं. जब वे शान्तिनिकेतन में कक्षा ११ में पढ़ती थीं, तो एक जर्मन प्रोफेसर के साथ आपत्तिजनक अवस्था में रँगे हाथ पकड़ी गयी थीं. इसलिए गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने उनके पिता तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु को तत्काल बुलाया और इंदिरा गाँधी को अपने विद्यालय से निकालकर उनके साथ भेज दिया था.
नेहरु ने उसके बाद कई विदेशी स्कूलों में इंदिरा का प्रवेश कराने की कोशिश की, परन्तु कोई भी उनको एडमिशन देने को तैयार नहीं हुआ और इंदिरा गाँधी की शिक्षा वहीँ समाप्त हो गयी. बिडम्बना तो यह है कि वे ही इंदिरा गाँधी बाद में शान्ति निकेतन विश्व-विद्यालय की पदेन कुलपति बनीं और कई वि.वि. ने उनको डाक्टरेट की उपाधि भी भेंट की (शुद्ध चापलूसी में).
मैं पूछता हूँ कि जब केवल हाई स्कूल पास इंदिरा गाँधी देश की प्रधानमंत्री बन सकती हैं, तो इंटर पास स्मृति ईरानी शिक्षा मंत्री क्यों नहीं बन सकतीं? वास्तव में किसी डिग्री का ज्ञान और योग्यता से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है. कम शिक्षा प्राप्त व्यक्ति भी अनेक क्षेत्रों में अपनी योग्यता सिद्ध कर सकता है.
इसलिए स्मृति ईरानी के आलोचकों को चाहिए कि साल-दो साल उनका काम देख लें, तब उनके बारे में कोई राय बनायें. जय श्री राम !
प्रिय विजय भाई जी, क्या कमाल का सवाल उठाया है आपने! समाधान भी उतना ही नायाब सुझाया है. आभार.
सत्य , सुपवा त सुपवा, चलनियो बोले जेकरे बहत्तर छेद.