कम्प्यूटरों के लिए संस्कृत सर्वश्रेष्ठ भाषा कैसे?
मेरे एक मित्र ने कई जगह यह पढ़ा है कि संस्कृत को वैज्ञानिकों द्वारा कम्प्यूटरों के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा माना गया है। वे यह जानना चाहते हैं कि इसके कारण क्या हैं। यहाँ मैं अपनी समझ के अनुसार उनकी जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश कर रहा हूँ।
संस्कृत को कम्प्यूटरों के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा माना जाने के कई कारण हैं, जो संक्षेप में निम्नलिखित हैं-
1. संस्कृत में विभक्तियों के लिए किसी अलग शब्द का प्रयोग नहीं होता, बल्कि शब्दों में ही अतिरिक्त मात्रा अथवा अक्षर जोड़कर विभक्ति का प्रभाव उत्पन्न किया जाता है। उदाहरण के लिए, हिन्दी में ‘कमरे में’ 2 शब्द हैं, इसके लिए हम अंग्रेजी में तीन शब्द लिखते हैं- ‘इन द रूम’। लेकिन संस्कृत में केवल एक शब्द लिखा जाता है- ‘कक्षे’। इससे न केवल पूरा अर्थ मिल जाता है, बल्कि अर्थ में किसी प्रकार के भ्रम की सम्भावना भी समाप्त हो जाती है। जैसे ‘कमरे में’ को ‘में कमरे’ लिखने से अर्थ विकृत हो जाता है। संस्कृत में ऐसा नहीं हो सकता। इसी प्रकार अन्य विभक्तियों के बारे में समझा जा सकता है।
2. संस्कृत में सात विभक्तियां हैं, जितनी शायद अन्य किसी भाषा में नहीं हैं। इससे इनसे किसी वाक्य का पूरा भाव सही-सही ग्रहण किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, हिन्दी की विभक्ति ‘से’ को कई रूपों में उपयोग किया जाता है, जैसे ‘राम से कहा’, ‘वाहन से गया’, ‘पेड़ से गिरा’ आदि। इसी प्रकार अंग्रेजी की ‘टु’ विभक्ति को भी कई रूपों में प्रयोग किया जाता है, जैसे- ‘राम सेड टु श्याम’, ‘बुक सेंट टु हिम’ ‘कम टु मी’ आदि-आदि। इन सभी उदाहरणों में एक ही विभक्ति का अर्थ अलग-अलग है। संस्कृत में इन सबके लिए अलग-अलग विभक्तियाँ है, जैसे- कर्ता, कर्म, कर्ण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बंध, अधिकरण, सम्बोधन। इसलिए संस्कृत में अर्थ-ग्रहण में किसी प्रकार का भ्रम नहीं हो सकता।
3. संस्कृत में किसी वाक्य में शब्दों का क्रम बदल जाने पर भी अर्थ नहीं बदलता, जबकि अन्य भाषाओं में अर्थ का अनर्थ हो सकता है। उदाहरण के लिए, हिन्दी का एक वाक्य लीजिए- ‘कमरे में एक बच्चा है।’ इसको अंग्रेजी में ‘देयर इज ए चाइल्ड इन द रूम’ इस प्रकार लिखा जाता है, जबकि संस्कृत में केवल ‘कक्षे बालकः अस्ति’ लिखा जाता है। अब हिन्दी वाक्य के शब्दों को उलट-पुलट कीजिए, जैसे- ‘बच्चा में कमरे एक है।’ इससे वाक्य विकृत हो गया। ऐसा ही अंग्रेजी में होता है। लेकिन संस्कृत में हम इस वाक्य को किसी भी तरह लिखें, जैसे- ‘बालकः कक्षे अस्ति’, ‘अस्ति कक्षे बालकः’, ‘बालकः अस्ति कक्षे’ ‘कक्षे अस्ति बालकः’ या ‘अस्ति बालकः कक्षे’, परन्तु कभी भी इसका अर्थ नहीं बदलता। यहाँ मैंने तीन शब्दों को उलट-पुलट करने की सभी संभावनाओं को शामिल करके देख लिया है।
4. इन गुणों के कारण संस्कृत को अनुवाद की सर्वश्रेष्ठ भाषा या माध्यम माना जाता है। हम किसी भी भाषा के वाक्यों का अनुवाद सरलता से संस्कृत में कर सकते हैं और फिर संस्कृत पाठ्य का अनुवाद किसी तीसरी भाषा में किया जा सकता है। इससे अनुवाद अधिकतम सही प्राप्त होगा, इसकी गारंटी है। पहली भाषा से तीसरी भाषा में सीधे अनुवाद करने पर इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती।
5. संक्षेपता के गुण के कारण संस्कृत को कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने के लिए भी सर्वश्रेष्ठ भाषा माना गया है, हालांकि अभी तक इसका उपयोग इस कार्य में नहीं किया जा सका है।
6. संस्कृत को जिस देवनागरी लिपि में लिखा जाता है, वह संसार की सबसे अधिक वैज्ञानिक और पूर्ण लिपि है। इसमें लिखने और उच्चारण करने में किसी प्रकार का कोई भ्रम नहीं है। स्वरों और व्यंजनों की संख्या भी आवश्यक और पर्याप्त है। इसलिए कम्प्यूटर में ध्वनि आधारित उपयोगों के लिए भी संस्कृत सर्वश्रेष्ठ भाषा मानी गयी है।
सम्भव है इनके अतिरिक्त एक-दो कारण और भी हों। लेकिन ये 6 कारण ही यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं कि संस्कृत कम्प्यूटरों के लिए सर्वश्रेष्ठ भाषा है।
प्रिय विजय भाई जी, अत्युत्तम व ज्ञानवर्द्धक लेख के लिए आभार.