कविता

हाइकु

1
हुलसी सृष्टि
मोरचंग सा बादल
रूपोश रवि ।
==
2
साँवली हवा
झुलसी जुही बेला
जेठ झमेला ।
==
3
जीने की कुंजी
नर ना हो बानर
समृद्ध पूंजी ।

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

2 thoughts on “हाइकु

  • सविता मिश्रा

    बहुत सुन्दर

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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