मेरा हिँदुत्व
मेरा हिँदुत्व केवल धर्म नहीँ है,
पंथ नहीँ है, वर्ग नहीँ है,
ये मन की विचारधारा है,
मुझको प्राणोँ से प्यारा है,
ये जीवन जीने की कला महान,
ये सत्यपथ का महाविज्ञान,
ये कोई जात नही है,
ये विचार की बात नही है,
ये मन से मन का जोड है,
भ्रम उलझन का तोड है,
जीवन मूल्योँ का निचोड है,
जिसपर मुझको अतिशय गर्व है,
ये मानवता का महापर्व है,
बिखराता नहीँ जोडता है,
बैर मनोँ के तोडता है,
मानव से मानव का जोडना नाता,
मुझको मेरा हिँदुत्व सिखलाता।
दुश्मन के लिए शमशीर है,
दुष्टोँ के सीने देता चीर है,
पापी नहीँ पाप को मारे,
हर मानुष को श्राप से तारे,
संदेश प्रेम है सदा हमारा,
सत्यमेव का देते नारा,
पर रणभूमि मेँ रणबीर महान ये,
शत्रु मर्दन मेँ नर्म नहीँ है,
मेरा हिँदुत्व केवल धर्म नहीँ है,
___सौरभ कुमार दुबे
अच्छी कविता. आपने हिंदुत्व को सही रूप में समझा और जिया है.