♫प्रेरणा गीत ♫- ☼ दूर है मंजिल !☼
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ll दूर है मंजिल तारे जैसे चमकते हैं सारे
इनको पाना ही मतलब है जीवन का प्यारे
वो भी , थे इंसा, जिन्होंने चाँद पर
कदम रखा इक दिन
तू भी , है इंसा, तो क्यूँ न करेगा
तू भी ये इक दिन ll दूर है मंजिल ……
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ll दुनिया में केवल मनुष्य है
जो हिम्मत ना हारा है
हमसे भी तो यही चाहता
ये इतिहास हमारा है
ये इतिहास हमारा है ll ,दूर है मंजिल ……….
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ll और न कुछ रहता है जहाँ में
रह जाता बस नाम है
तेरी अमिट् निशानी बनते
तेरे सुन्दर काम है
तेरे सुन्दर काम है ll , दूर है मंजिल ……
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♦-सचिन परदेशी ‘सचसाज’♦
बहुत खूब आचार्य जी, अच्छा गीत और भाव !