गुर्दे में पथरी का प्राकृतिक इलाज
बहुत से लोगों को गुर्दे में पथरी हो जाती है, जिससे बहुत असहनीय दर्द होता है. ऐलोपैथिक डाक्टरों के पास इसका कोई ठोस इलाज नहीं है, बस यों ही दवा खिलाते रहते हैं और अंत में आपरेशन कर देते हैं, जिसमें बहुत खर्च भी होता है और कष्ट भी.
लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है. इसका आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में पक्का इलाज है. आप बहुत सरलता से इस कष्ट से मुक्ति पा सकते हैं और आपरेशन आदि में आने वाले भारी खर्च से बच सकते हैं. बस आपको कुछ उपायों का पालन करना होगा.
सबसे पहले तो यह समझिये कि गुर्दे (किडनी) में पथरी क्यों होती है. जब आप इसके कारणों को समझ लेंगे, तो इससे मुक्ति पाना सरल हो जायेगा. किडनी में पथरी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
१. अल्कोहलिक पेयों का सेवन करना.
इसलिए हर तरह का अल्कोहल (शराब, बियर आदि) तत्काल बंद कर दीजिये. इसकी कोई जरुरत नहीं है.
२. पेशाब का वेग रोकना.
यह पथरी का और मूत्र सम्बन्धी रोगों का बहुत बड़ा कारण है. इसलिए जब भी पेशाब लगे, तुरंत सारे काम छोड़कर जाइये.
३. पानी कम पीना.
स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर में कम से कम ३-४ लीटर पानी जरुर पीना चाहिए. गर्मियों में ४-५ लीटर. पानी ज्यादा ठंडा न हो. साधारण शीतल जल सर्वश्रेष्ठ है.
४. धूप में अत्यधिक शारीरिक श्रम करना. इससे बचना चाहिए.
५. फ़ास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड ज्यादा खाना.
इससे भी बचना चाहिए. ऐसा भोजन बीमारियों को निमंत्रण देने के बराबर है.
चिकित्सा-
१. दिनभर में खूब पानी पियें. पथरी वालों को कम से कम ८ लीटर एक दिन में. हर १५ मिनट पर आधा पाव पानी पीना चाहिए या
हर आधे घंटे पर २५० ग्राम. इससे दिन भर में ८ लीटर हो जायेगा. यह मुख्य इलाज है. जितनी बार भी पेशाब लगे जरुर जाइये.
इससे लगभग १ माह में पथरी गलकर पेशाब के रास्ते निकल जाएगी.
२. तुलसी के ताजे पत्ते १०-१५ लेकर पीस लीजिये. उनका रस निचोड़कर एक चम्मच शहद में खूब मिलाकर पी जाइये. रोज प्रातः खाली
पेट यह काम जरुर करना है.
३. तुलसी के ३-४ पत्ते चबाकर खाइए. यह भी खाली पेट करना है.
४. सेब का रस मिल जाये तो रोज एक गिलास पीजिये. ऊपर बताई दवा खाने के १ घंटे बाद.
५. दोपहर बाद तरबूज खाइए या उसका एक गिलास रस पीजिये.
बस इतना करने से आपको किडनी की पथरी से मुक्ति मिल जाएगी. यह गारंटी का इलाज है.
bahut achhi jaankari,,,,dhanyawaad
स्वागत है, सौरभ जी.
बहुत अच्छा लेख है . मैं आप से सहमत हूँ .
आभार, भाई साहब.