अंतर्घट कविता लिखता है!!
तम से घिरे हुए मन में
या बाधाओं के काले वन में
जब पथ ना कोई दिखता है
अंतर्घट कविता लिखता है
प्रमादो में उन्मादों में
अनुवादों में अवसादों में
कागज़ के रण में कलमकार
एक योद्धा सा दिखता है
अंतर्घट कविता लिखता है
प्राणो में लेकर कोई रंग
बिखराये शब्दों की एक तरंग
मन में लेकर एक उमंग
वह मलंग सा दिखता है
अंतर्घट कविता लिखता है
____सौरभ कुमार दुबे
बहुत अच्छी कविता !