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अनुकरणीय एवं अभिनंदनीय

जापान ने फीफा विश्व कप में पिछले सप्ताह ग्रीस के विरुद्ध अपना मैच भले ही खो दिया, लेकिन उसके समर्थकों ने एक कार्य से संसार का हृदय जीत लिया. वे मैच हारने के बाद भी मैदान पर बने रहे और उसकी सफाई का कार्य किया, जबकि बाकि सभी दर्शक अपने-अपने घर की ओर प्रस्थान कर रहे थे या कर चुके थे.

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बरसात से बचने के लिए सफ़ेद रेनकोट पहने हुए और हाथ में कूड़े का थैला लिए हुए लगभग १५ हज़ार जापानियों ने इस कार्य से एक उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है. जापान में हर कार्यक्रम के तत्काल बाद सफाई करने की परंपरा है. होटलों में खाना खाने के बाद ग्राहक स्वयं मेजों की सफाई करते हैं. इसी को इस बार संसार ने प्रत्यक्ष देखा जब जापानी दर्शकों ने चरों ओर फैले हुए कूड़े को उठा-उठाकर अपने थैलों में डालना शुरू किया.

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इस कार्य के फोटोग्राफ संसार भर में सोशल नेटवर्क साइटों पर बहुत पसंद किये जा रहे हैं.

जापानी टीम ने भी खेल भावना का श्रेष्ठ उदहारण प्रस्तुत किया, जब मैच हारने के बाद भी उन्होंने एक पंक्ति में खड़े होकर अपने समर्थन के लिए दर्शकों का अभिवादन किया.

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हम भारतीय जापान से कुछ अच्छी बातें कब सीखेंगे?

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]