कविता

कविता : हर पल तेरी यादें, हैं सीने में आग लगाए

हर पल तेरी यादें हैं, रातो को तू ख्वाब में आये।

अबकी सावन कैसा आया, सीनें में है आग लगाये।।

गम का सागर कितना गहरा, बाहर है दुनिया का पहरा।

नीचे पत्थर की जमीं हैं, जिन पर मै अब तक हॅू ठहरा।।

कैसे लोग वो सोते होगें, शोला जो सीने में दबाये

हर पल तेरी यादें हैं, सीनें में  है आग लगाये।।

कांटो की गलियों मेें चलते, दुनियां की रस्मों में जलते।

अब तक जितने गुलशन देखे, माली रोते ही हैं मिलते।

दुनियां के मेंले में देखो, वीरानापन लहराये

हर पल तेरी यादें हैं, सीनें में है आग लगाये।।

दीवाने सब राज है ठहरे, रस्म कोई हम जानें ना।

फतेह की राहों पर जाना है, कसम कोई हम माने ना।

कहने को शब ये ठन्डी है, रोज ये सबको जलाये।

हर पल तेरी यादें हैं,  सीनें में है आग लगाये।।

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782

One thought on “कविता : हर पल तेरी यादें, हैं सीने में आग लगाए

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

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