पत्रकारों पर हमले की संभावना प्रबल रहती है!
एक पत्रकार जलती हुयी उस मोमबत्ती के समान होता है जो खुद जलकर अंधेरे को चीरने के लिये एक रोशनी
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Read Moreकलयुग कहें या आधुनिक युग इस युग में इंसानों की संवेदनहीनता धीरे धीरे उजागर हो रही है इसी वजह से
Read Moreवर्तमान समय में देश की धरती को सियासी चौसर बना कर छोंड दिया गया हैए सियासत में ऐसे ऐसे दांव
Read Moreमहफिलों का यहां पर, हाल मैं खूब जानता हूंभीड़ की न शक्ल कोई, हाल मैं खूब जानता हूं हर तरफ
Read Moreअब सांझ नही होती, बस रात होती हैचरागों की चौखट से, न बात होती है अंधेरे से उजाले का, जो
Read Moreबेचैनी तभी तक, जब तक नजर आये ओझल हुए जब से, ओ न इधर आये ख्यालों के खीसे से, यहाँ
Read Moreजीवन में सदा ही बसन्त रहेखुशियों का कोई न अंत रहेउमंग नयी हो तरंग नयी होनव वर्ष में हर्ष अनन्त
Read Moreचुनाव को चटपटा बनाने के लिये देश की सभी पार्टियां देश की जनता को चुनावी चूरन चटा कर चुनाव को
Read Moreजब इस पृथ्वी पर मानव का उदय हुआ तो मानव सर्वप्रथम आदिमानव कहलाया था क्योंकि आदिमानव का मानसिक विकास न
Read Moreबड़ी मुश्किल से यहाँ धसकर निकलते हैंमैदान से अब हुस्न के लश्कर निकलते हैं उठा गुब्बार टापों से घटा काली
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