सामाजिक

आखिर कौन हैं वो जो फेंक देते हैं नवजात को

कलयुग कहें या आधुनिक युग इस युग में इंसानों की संवेदनहीनता धीरे धीरे उजागर हो रही है इसी वजह से समाज को कलंकित करने वाले कुछ ऐसे कृत्य उभर कर सामने आ जातें हैं कि अनायास ही सभी के मुंह निकल ही जाता है कि घोर कलयुग! आखिर क्या है घोर कलयुग ? यही कि संस्कारों का तिरस्कार किया जा रहा है, इंसानों के बीच से इंसानियत खत्म होती जा रही है, आधुनिकता इस तरह से सभी के दिल दिमाग पर अपना कब्जा जमा चुकी है कि रिस्तों की कोई अहमियत नही बची है, फैशन के नाम पर आज का युवा कुछ भी कहीं भी पहन कर जा सकता है, बढ़ती उम्र के मद में आकर परिणय बन्धन में बधने से पहले घिनौने से घिनौने कृत्य को अंजाम दे रहा है, क्या अब परिवार में भले बुले का संस्कार देना बन्द हो रहा है! आज का समाज इतना शिक्षित और जागरूक हो चुका है कि सामाजिक शिक्षा का कोई मतलब ही नही बचा है।

नौ माह गर्भ में ठहरने के बाद जब एक शिशु की दुनियां में आने के बाद आंखे खुली तो उसके पास चीखने चिल्लाने के सिवा कुछ भी नही था! उसके पास कुछ था तो नर्म खाल के नीचे एक कपड़े का टुकड़ा और सिकुड़े बदन को खींचनें में जुटी चींटी और चींटे मंद मंद चल रही हवा और जमींन पर उगी घास तथा आस पास की झाड़ियां नवजात के वारिस की गवाही दे रही थी किन्तु प्रकृति की आवाज परमात्मा के सिवा कौन सुनता है! नवजात के चिल्लाने की आवाज सुनने के बाद जिसकी भी नजर पड़ी उसकी आखें खुली की खुली रह गयीं! हर कोई यही सोंच रहा था कि यह नवजात शिशु आसमान से टपका या जमीन से निकला इसे जीवन देकर मौत के मुंह में धकेलने वाले वो निर्दयी मां बाप किस दुनियां के हैं ? आखिर क्यों नही उमड़ी मां की ममता ? देखने वाले कुछ इसी अंदाज में बात चीत करते नजर आये और यह सोंच रहे थे कि यह चन्द घंटो के जन्मे लावारिस बालक के वारिस कौंन हैं और अब कौन इसका वारिस बनेगा भीड़ ने अपनी संवेदना प्रकट करते हुये नवजात की ओर अपने हाथ बढाये और बच्चे को उठा लिया शिशु लगातार अपनी आवाज में रो रो कर यही सोंच रहा था कि आखिर मेंरा क्या कसूर था ? और दूसरी ओर रो रो कर अपने जिन्दा होंने का सबूत पेस कर रहा था और अपनी बदकिमस्मती पर आंसू बहा रहा था।
अप्रैल माह की एक तारीख 2024 को समय लगभग शाम के 7 बजे थे बाराबंकी मुख्यालय से 21 किमी दूर उधौली से सिरौलीगौपुर रोड़ किनारे झाडियों में एक नवजात शिशु के रोने की आवाज कुछ राहगीरों ने सुनी तो एक बाद एक राहगीर रूकने लगे जब कई लोगों की भीड़ एकत्र हुयी तो सभी के कदम धीरे-धीरे आवाज की ओर बढ़ने लगे पास जाकर देखा तो एक नन्हा मुन्ना बालक झाड़ियों के बीच पड़ा रो रहा था और उसके बदन से चींटियां लिपटी हुयी थीं शाम धीरे-धीरे ढल रही थी इसी बीच सूचना पाकर पहुंचा स्थानीय प्रशासन जिसके लिये यह घटना कोई नयी नही थी फिर वहां पर मौजूद अधिकारियों को मानवता शर्मशार होती नजर आयी इसी बीच सफदरगंज थाना क्षेत्र के अम्बौर गांव निवासी मनीष अवस्थी बीच में आये और प्रशासन से बोले कि! साहब मेरी शादी के नौ वर्ष हो चुके हैं किन्तु कोई औलाद नही है संभव हो तो यह बच्चा मुझे दे दिया जाये इस पर सभी की सहमति बन गयी चिकित्सीय परीक्षण करा कर एवं विभागीय कार्यवाही पूर्ण कर लावारिस बच्चे के वारिस मनीष अवस्थी बन गये।
सफदरगंज थाना क्षेत्र में यह घटना कोई नयी नही थी इससे पहले भी 16 अप्रैल 2012 को सफदरगंज थाना क्षेत्र के बेलवारनपुरवा गांव के निवासी अम्बिका प्रसाद भोर लगभग 4 बजे गांव के ही जुगुल किशोर के खेत में गेहूं काटने पहुंचे थे खेत की मेंड पर कदम ही रखा की कि खेत के बीचो बीच से किसी नवजात के रोने की आवाज आ रही थी उत्सुक्ता वश वह आवाज का सहारा लेकर अम्बिका प्रसाद नवजात शिशु तक पहुंच गये तो देखा कि खून से लथपथ एक नन्ही सी बच्ची रो रही थी उसके बदन पर भी चिंटियां काट रहीं थी नवजात बच्ची के मिलने की सूचना आस पास के क्षेत्र में फैली गयी स्थानीय प्रशासन भी मौके पर आ गया तभी सफदरगंज थाना क्षेत्र के बघौरा गांव निवासी बंशी लाल गौतम ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा प्रकट की जिस पर नवाबगंज तहसील के तत्कालीन उपजिलाधिकारी के अनुमोदन पर लावारिस हालत में मिली नवजात बच्ची के वारिस बंशीलाल गौतम बन गये।

— राजकुमार तिवारी ‘राज’

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782