धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वामी विवेकानंद

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स्वामी विवेकानंद केवल एक व्यक्ति का नाम नहीं है,
ये एक महान शक्ति का नाम है!
ये विचार नहीं है, आधार है!
ये जीवन मूल्यों का ऐसा घनेरा वृक्ष है
जिसकी शाखा के फलों के स्वाद की तुलना किसी से नहीं की जा सकती!
स्वामी विवेकानंद केवल प्रेरणा नहीं हैं, प्राण हैं!
विवेकानंद माने मूल्य,
उत्कृष्ट जीवन मूल्य!
विवेकानंद प्रतिष्ठा का नहीं परमार्थ का नाम है!
विवेकानंद माने जोश!
विवेकानंद माने शक्ति!
विवेकानंद माने आशा!
विवेकानंद माने तरुणाई!
विवेकानंद माने सिद्धि!
विवेकानंद माने त्याग!
विवेकानंद माने तपस्या!
विवेकानंद माने ओज!
विवेकानंद माने दिव्य!
विवेकानंद माने क्रांति!
विवेकानंद माने योग!
विवेकानंद माने सरलता!
विवेकानंद माने स्पष्टता!
विवेकानंद माने पुंज!
विवेकानंद माने सत्यता!
विवेकानंद माने ज्ञान!
विवेकानंद माने दैवीयता!
विवेकानंद माने उजाला!
विवेकानंद माने सूर्य!
विवेकानंद माने उच्चता!
विवेकानंद माने उदार!
विवेकानंद माने विराट!
विवेकानंद माने आध्यात्म!
विवेकानंद माने धर्म!
विवेकानंद माने नैतिकता!
विवेकानंद माने उद्देश्य!
विवेकानंद माने लक्ष्य!
विवेकानंद माने युवा!!

_____सौरभ कुमार दुबे

सौरभ कुमार दुबे

सह सम्पादक- जय विजय!!! मैं, स्वयं का परिचय कैसे दूँ? संसार में स्वयं को जान लेना ही जीवन की सबसे बड़ी क्रांति है, किन्तु भौतिक जगत में मुझे सौरभ कुमार दुबे के नाम से जाना जाता है, कवितायें लिखता हूँ, बचपन की खट्टी मीठी यादों के साथ शब्दों का सफ़र शुरू हुआ जो अबतक निरंतर जारी है, भावना के आँचल में संवेदना की ठंडी हवाओं के बीच शब्दों के पंखों को समेटे से कविता के घोसले में रहना मेरे लिए स्वार्गिक आनंद है, जय विजय पत्रिका वह घरौंदा है जिसने मुझ जैसे चूजे को एक आयाम दिया, लोगों से जुड़ने का, जीवन को और गहराई से समझने का, न केवल साहित्य बल्कि जीवन के हर पहलु पर अपार कोष है जय विजय पत्रिका! मैं एल एल बी का छात्र हूँ, वक्ता हूँ, वाद विवाद प्रतियोगिताओं में स्वयम को परख चुका हूँ, राजनीति विज्ञान की भी पढाई कर रहा हूँ, इसके अतिरिक्त योग पर शोध कर एक "सरल योग दिनचर्या" ई बुक का विमोचन करवा चुका हूँ, साथ ही साथ मेरा ई बुक कविता संग्रह "कांपते अक्षर" भी वर्ष २०१३ में आ चुका है! इसके अतिरिक्त एक शून्य हूँ, शून्य के ही ध्यान में लगा हुआ, रमा हुआ और जीवन के अनुभवों को शब्दों में समेटने का साहस करता मैं... सौरभ कुमार!

3 thoughts on “स्वामी विवेकानंद

  • केशव

    बढ़िया

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख. स्वामी विवेकानंद हर पीढ़ी के युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे हैं. अभी भी हैं. हम उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं.

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