चंद हाइकु
1
प्रत्येक बूँद
अहमियत बड़ी
आँखें न मूँद ।
2
बुरी है अति
क्रोध घमंड प्यार
मरती मति ।
3
अस्तित्वहीन
झुलस गए रिश्ते
शक से सुन्न ।
4
सुन रे मीत
बरखा का संगीत
निभाओ प्रीत ।
5
कराही धरा
मेघ का मरहम
ज़ख्म है भरा ।
6
खामोश शब्द
मृत संवेदनाएँ
झरते नैन ।
7
वक़्त परिंदा
आए न फिर हाथ
जी ले जी भर ।
8
दूर सपने
तलाशते ही रहे
खुद अपने ।
9
ख्वाब देखती
दरदर भटकी
बूढ़ी अंखियाँ ।
10
टूटते ख्वाब
मन हुआ उदास
गैर ही तो थे ।
सभी हाइकु अच्छे हैं गुंजन जी ! इस हाइकु की अभिव्यक्ति बहुत व्यापक है-
टूटते ख्वाब
मन हुआ उदास
गैर ही तो थे ।
अच्छी हाइकु. शब्दों का चयन बहुत सावधानी से किया गया है. तभी सटीक हैं.