लघुकथा : बच्चा बड़ा हो गया है…
माँ की आँख लगी ही थी कि उसका 12 साल का बेटा स्कूल से घर आया और बोला : माँ , मैं अब बड़ा हो गया हूँ और स्कूल के बाकी बच्चे मुझे ये कहकर चिढ़ाते है कि मैं रोज ये फटी हुई शर्ट पहन कर आता हूँ !! मुझे नया शर्ट चाहिए !!
दूसरों के घरों में बर्तन मांझ कर अपना घर चलाने वाली माँ बेटे की इस फरमाइश को टाल ना सकी और बोली कि कल दिलवा दूंगी !!
बेटा भी बेमन से बात मानकर अपने काम में लग गया !! माँ ने सोचा कि शाम को मालकिन से रुपये मांग लूंगी और कल दिलवा दूंगी !! मगर मालकिन से रुपये मांगे
तो उसने ये कहकर मना कर दिया कि अभी 3 दिन पहले ही तो उसका महीना शुरु हुआ है !! अभी रुपये नहीं मिल सकते !! माँ भी चुपचाप बर्तन मांझ कर घर आ गयी !!
अगले दिन जब बेटे ने शर्ट दिलाने की बात बोली तो माँ सोच में पड़ गई !! फिर सोचा कि अपने किसी जानने वाले के यहाँ से उधार दिलवा देती हूँ,!! जब रुपये आयेंगे तब चुका दूंगी !! इसी सोच के साथ माँ अपने जानने वाले की दुकान पर पहुँची ,!! वहाँ अपने बेटे को शर्ट पसंद कराई !!
मगर जब बारी रुपये देने की आई तो माँ ने दुकानदार को उधार करने को बोला !! लेकिन वो भी आनाकानी करने लगा और आखिर में उसने साफ मना कर दिया !! ये बात बेटे ने सुन ली !!
अचानक बेटे से माँ से कहा कि माँ,मुझे ये शर्ट नहीं चाहिए !! हम बाद में ले लेंगे
और वैसे भी स्कूल में मुझे ठंड लगती है !! तो मैं कल से उस फटी शर्ट के ऊपर स्वेटर पहन कर जाया करुंगा !! इतना कह कर बेटा दुकान से बाहर आ गया !!
माँ को अब समझ में आ गया कि बेटा सच में बड़ा हो गया है !!
यह हुई न बात . ऐसे बच्चे जिंदगी में सफलता प्राप्त करते हैं . ऐसे संस्कार कुदरत ही देती है , वर्ना बहुत बच्चे तो समझाने से भी नहीं समझते . बहुत अच्छी मिनी कहानी
बहुत अच्छी लघुकथा. अगर देश के सब बच्चे इतने समझदार हो जाएँ, तो हमारी समस्याएं आधी हो जाएँगी.