कविता

कुण्डलियाँ …

 

कैसे-कैसे दे गई , दौलत दिल पर घाव ,
रिश्तों से मृदुता गई ,जीवन से रस भाव |
जीवन से रस भाव ,कहें ऋतु कैसी आई ,
स्वयं नीति गुमराह ,भटकती है तरुणाई |
स्वारथ साधें आप ,जतन कर जैसे-तैसे ,
लोभ दिखाए खेल , देखिये कैसे-कैसे ||1
जीवन में उत्साह से, सदा रहे भरपूर .
निर्मलता मन में रहे ,रहें कलुष से दूर .
रहें कलुष से दूर ,दिलों के कँवल खिले से .
हों खुशियों के हार ,तार से तार मिले से .
दिशा-दिशा हो धवल ,धूप आशा की मन में .
रहें सदा परिपूर्ण ,उमंगित इस जीवन में ||2
बाँचो पाती नेह की ,नयना मन के खोल ,
वाणी का वरदान हैं ,बस दो मीठे बोल ।
बस दो मीठे बोल ,बडी़ अदभुत है माया ,
भले कठिन हो काज ,सरल सा हमने पाया ।
समझाती सब सार ,साँस यह आती जाती ,
क्या रहना मगरूर ,नेह की बाँचो पाती । ।3

राधा की पायल बनूँ, या बाँसुरिया ,श्याम ,
दोंनों के मन में रहूँ, इच्छा यह अभिराम ।
इच्छा यह अभिराम ,संग राखें बनवारी  ,
दो बाँसुरिया देख , दुखी हों राधा प्यारी ।
हो उनको संताप , मिलेगा सुख बस आधा ,
कान्हा के मन वास , चरण में रख लें राधा ||4

 

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा

परिचय : डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा जन्म स्थान : बिजनौर (उ0प्र0) शिक्षा : संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि ( लब्ध स्वर्ण-पदक )एवं पी-एच 0 डी0 शोध विषय : श्री मूलशंकरमाणिक्यलालयाज्ञनिक की संस्कृत नाट्यकृतियों का नाट्यशास्त्रीय अध्ययन । प्रकाशन : 'ओस नहाई भोर'(एकल हाइकु-संग्रह), 'महकी कस्तूरी'(एकल दोहा-संग्रह), 'तुमसे उजियारा है' (एकल माहिया-संग्रह) । अन्य प्रकाशन - ‘यादों के पाखी’(हाइकु-संग्रह ), ‘अलसाई चाँदनी’ (सेदोका –संग्रह ) एवं ‘उजास साथ रखना ‘(चोका-संग्रह), हिन्दीहाइकुप्रकृति-काव्यकोश,, डॉसुधागुप्ताकेहाइकु मेंप्रकृति( अनुशीलनग्रन्थ),हाइकु –काव्यशिल्पएवंअनुभूति,समकालीनदोहाकोशमेंरचनाएँप्रकाशित।विविध राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय (अंतर्जाल पर भी )पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग पर यथा – हिंदी चेतना,गर्भनाल, अनुभूति, अविराम साहित्यिकी, रचनाकार, समृद्ध सुखी परिवार,सादर इंडिया, उदंती, लेखनी, शोध दिशा, राजभाषा आश्रम सौरभ , यादें, अभिनव इमरोज़, सहज साहित्य, त्रिवेणी, हिंदी हाइकु, लघुकथा . कॉम, साहित्य कुञ्ज, विधान केसरी, प्रभात केसरी, नूतन भाषा-सेतु,नेवा: हाइकु, सरस्वतीसुमन आदि में हाइकु,सेदोका,ताँका,चोका,गीत,माहिया,दोहा, कुंडलियाँ, घनाक्षरी, ग़ज़ल, बाल कविताएँ, समीक्षा, लेख, क्षणिका आदि विविध विधाओं में अनवरत प्रकाशन । ब्लॉग : jyotirmaykalash.blogspot.in सम्प्रति : स्वतन्त्रलेखन सम्पर्क :एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला- वलसाड, गुजरात (भारत ) पिन- 396191 e-mail [email protected] [email protected]

8 thoughts on “कुण्डलियाँ …

  • जगदीश सोनकर

    आपकी कुण्डलियाँ बहुत रसीली हैं. धन्यवाद.

    • jyotsnasharma

      प्रेरक प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार आपका !
      सादर

  • तीसमार सिंह

    कुण्डलियाँ पढ़कर अच्छा लगा.

    • jyotsnasharma

      सहृदय प्रतिक्रिया हेतु बहुत आभार !
      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

  • रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

    जीवन के विभिन्न पक्षों को उद्घाटित करती सार्थक कुण्डलियाँ ।

    • jyotsnasharma

      काव्य के मर्म को स्पर्श करती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार !
      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सरस कुण्डलियाँ हैं. इस विधा का लोप होता जा रहा है, फिर भी बहुत से कवि इसको अपनाते हैं.

    • jyotsnasharma

      आपकी प्रतिक्रिया बहुत प्रेरक है |हृदय से आभार इस प्रोत्साहन के लिए !
      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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