गीतिका/ग़ज़ल

प्रेम भरो !

खुश हैं शोर मचाने वाले ,क्या कहिए ! चुप हैं राह दिखाने वाले , क्या कहिए ! दीख रहे हैं  अचरज ! नेत्रविहीनों को, सूरज की आँखों पर जाले , क्या कहिए ! खूब कसीदे पढ़ते रात घनेरी के हाथ धूप के लगते काले ,क्या कहिए ! हमने सोचा था कुछ होंगे महफिल में बेसुध […]

मुक्तक/दोहा

सूरज देखे नेह से

सूरज इनके साथ है , चंदा उनके हाथ । हमको तो तारे भले , रहे सदा सिर-माथ ।।1 भँवरों ने गाये बहुत , जब कलियों के गीत । कली-फूल उनके हुए , काँटे अपने मीत।।2 कोयल कूके बाग में , सजे आम पर बौर । ये सुधियों की तितलियाँ , करें हृदय में ठौर।।3 सूरज […]

गीतिका/ग़ज़ल

है सुन्दर उपहार ज़िंदगी !

है  सुन्दर  उपहार ज़िंदगी सुख-दुख का भण्डार ज़िंदगी । तेरा- मेरा प्यार ज़िंदगी मीठी- सी तकरार ज़िंदगी । खो बैठे धन अमर-प्रेम का तब तो केवल हार ज़िंदगी । देती जो मुसकान , धरा का- करती है शृंगार ज़िंदगी । काँटे-कलियाँ बीन-बीनकर रचे सुगुम्फित हार ज़िंदगी। इधर कुआँ है उधर है खाई दोधारी तलवार ज़िंदगी […]

गीतिका/ग़ज़ल

एक सुरीली तान !

खुद को तो भगवान समझकर बैठे हैं मुझको बस नादान समझकर बैठे हैं । इसका पत्ता देखो उसको बाँट रहे सच्चा इसको दान समझकर बैठे हैं । भरा अहम के काले घने अंधेरों से कमरा आलीशान समझकर बैठे हैं । मृगजल की छलना को सूखे मरुथल में करता अमृतपान , समझकर बैठे हैं । स […]

गीत/नवगीत

नए वर्ष में

नए वर्ष में ! सुख का सच्चा ,समाचार हो नवाचार हो ! नए स्वप्न हों, नयी उमंगें नवल कल्पना ,नयी तरंगें नव संकल्पों का प्रचार हो सुख का सच्चा समाचार हो , नवाचार हो  ! नए शब्द हों ,गीत नया हो जीवन का संगीत नया हो उसमें झंकृत सदाचार हो सुख का सच्चा समाचार हो, […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कठिन समय की कठिन लड़ाई मिल-जुलकर जाए निपटाई । गर हाथों में हाथ न होंगे हाथ लगेगी बस तनहाई । खो बैठोगे सब कुछ अपना होगी जग में खूब हँसाई । लालच की लाठी से तोड़ी तुमने सुख की आप दवाई । वैसे ही फल-फूल मिलेंगे जैसे बीज लगाए भाई । उलझे मन से मन […]

बाल कविता

बाल गीत – ताऊ जी 

दिन भर कितना लाड़ लड़ाते ताऊ जी नई कहानी रोज़ सुनाते ताऊ जी। भूलें चाहे पापा जी टॉफ़ी लाना दूध जलेबी खूब खिलाते ताऊ जी। चाचा कहते पढ़ ले, पढ़ ले , ओ मोटी ! उनको अच्छे से धमकाते ताऊ जी। कठिन पढ़ाई मुझको जब भी दुखी करे बड़े प्यार से सब समझाते ताऊ जी। […]

गीत/नवगीत

गीत – रत्न छुपे अनमोल सखी

रत्न छुपे अनमोल सखी ! मन के तहखाने में । इक गुड़िया है थिरक-थिरक कर नाचा करती है , रोती-गाती कभी पीर भी बाँचा करती है। ज़िद्दी-सी रूठे, थक जाऊँ उसे मनाने में….. सुधियों की माला है अनगिन धवल-धवल मोती आखर हैं पुखराज लोरियाँ संग लिए सोती गुंथ उलझी है वक्त लगेगा ,माँ ! सुलझाने […]

शिशुगीत

शिशु गीत

1 खेल रहे थे मुन्नू राजा लेकर खूब खिलौने प्यारे दिखे दूर से चुन्नू भैया झट से लगे छुपाने सारे । 2 कुछ कच्चे ,कुछ पक्के लाए ख़रबूज़े कितने मन भाए लगीं डाँटने मुझको अम्माँ गमले में जो बीज लगाए । 3 टिक-टिक करती चले घड़ी कहीं न जाए वहीं खड़ी ठीक-ठीक जब समय बताए […]

कविता

शुभ कामना !

बहुरंगी दुनिया भले , रंग भा गए तीन , बस केसरिया , सित, हरित ,रहें वंदना लीन | रहें वंदना लीन ,सीख लें उनसे सारी , ओज ,शूरता ,त्याग , शान्ति हो सबसे प्यारी | धरा करे शृंगार ,वीर ही रस हो अंगी , नस-नस में संचार ,भले दुनिया बहुरंगी ||१   अक्षत आशाएँ रहें […]