कविता

कतार

हर जगह कतार  है,

फ़ोन भी बोलता है

आप कतार में है,

कब खतम होगी,

ये कतार पता  नहीं

लोग बढ़ते जा रहे है

हर तरफ मारामारी है

सबको जल्दी है,

कतार से बहार आने की

पर क्या करे कतार

इतनी लम्बी है,

 और बढती जा रही है,

चाहे वो डॉक्टर के यहाँ हो

या हो रेलवे में

अब  तो नौकरी में भी

कतार है

लोग इंतजार कर  रहे है

अपने नंबर  का

कब आएगी पता नहीं

कतार कब होगी खतम कहना

मुश्किल है

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384

4 thoughts on “कतार

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    गरिमा जी कविता बहुत अच्छी है , जो आप ने बिआं किया है समझ नहीं आती इस पर हस्सुं , रोऊँ , हैरान होऊं या उदास होऊं . है ऐसा ही हर जगह . आप हैरान होंगी कि इंग्लैण्ड में किरिया कर्म के लिए शमशान भूमि में भी कतार है . एक बौडी को अन्दर जाने दिया जाता है दुसरी बौडी और उस के रिश्तेदार इंतज़ार में होते हैं किओंकि हर फिउन्रल के लिए फिक्स टाइम है . ओपरेशन थिएटर के लिए भी कतार है . हम सब कतार में ही तो हैं . एक दिन जब हमारी टर्न आएगी हम भी किसी स्टेशन पर उतर जायेंगे .

    • विजय कुमार सिंघल

      बहुत अच्छा कमेंट, भाई साहब.

      • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

        धन्यवाद विजय भाई !!

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता.

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