कविता

….. हाइकु …..

….. माँ को समर्पित कुछ हाइकु……

पुनरावृति
जीवन के पलों की
बनी माँ मैं भी

वही सम्बल
वहीँ विश्वास तुम्हारा
बांटा मैंने भी

जी लिया तुम्हे
जी के तुमसा मैंने
पा लिया तुम्हें

असंभव था
जीना तुम्हारे बिना
फिर भी जिया

नहीं था पता
जीं लेंगे हम सब
तुम्हारे बिना

मोमबत्ती ज्यूँ
पिघलती ममता
रौशनी देती

घड़ा तुमने
आकार दिया मुझे
लाख शुक्रिया

सम्बल बनीं
लौह पुरुष जैसे
मृदु भीतर

जलती रही
पिघलती रही वो
हो गयी ख़त्म

आँचल माँ का
बचाता दुनिया की
दुश्वारियों से

सीखा तुम्हीं से
मुश्किल घडी में भी
धैर्य रखना

सहती रही
जीवन की कटुता
होकर मृदु

by….namita rakesh

3 thoughts on “….. हाइकु …..

  • सविता मिश्रा

    बहुत सुन्दर

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    नमिता बहन , बहुत ही अच्छी कविता , मुझे मेरी माँ याद आ गई , बूडा हूँ लेकिन माँ के उपकार नहीं भूलते .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर हाइकु. माँ का गुणगान कभी पूर्ण नहीं होता.

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