सुशीला शिवराण
परिचय : सुशीला शिवराण
जन्म : २८ नवंबर १९६५ (झुंझुनू , राजस्थान)
शिक्षा : बी.कॉम.,दिल्ली विश्व विद्याीलय, एम. ए. (अंग्रेज़ी) राजस्थान विश्वषविद्या लय, बी.एड., मुंबई विश्वाविद्याbलय ।
पेशा : अध्यापन। पिछले बाईस वर्षों से मुंबई, कोचीन, पिलानी,राजस्थान और दिल्ली में शिक्षण। वर्तमान समय में गुड़गाँव में शिक्षणरत।
रुचि : हिन्दी साहित्य, कविता पठन और लेखन में विशेष रुचि। स्वरचित कविताएँ कई पत्र-पत्रिकाओं – हरियाणा साहित्य अकादमी की ‘हरिगंधा’, अभिव्यक्तिम–अनुभूति, नव्या, अपनी माटी, सिंपली जयपुर, कनाडा से निकलने वाली ‘हिंदी चेतना’, नेपाल से निकलने वाली ‘नेवा’ सृजनगाथा.कॉम, आखर कलश, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की बीकानेर की जागती जोत, हाइकु दर्पण, दैनिक जागरण और अमेरिका में प्रकाशित समाचार पत्र ‘यादें’ में प्रकाशित। हाइकु, ताँका और सेदोका संग्रहों में भी रचनाएँ प्रकाशित।
हरेराम समीप जी द्वाररा संपादित दोहा कोश में दोहे प्रकाशित।
नेपाल से निकलने वाली ‘शब्द संयोजन’ में कविताएँ नेपाली भाषा में अनूदित और प्रकाशित
जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल एवं बीकानेर साहित्य एवं कला उत्सव में एक रचनाकार के रुप में काव्यपठ तथा वक्तरव्य।
ऑल इंडिया रेडियो पर अनेक बार कविता पाठ, दूरदर्शन पर दोहा-गोष्ठीव में दोहों का वाचन
२३ मई २०११ से ब्लॉगिंग में सक्रिय। मेरे चिट्ठेद (वीथी) का लिंक –
www.sushilashivran.blogspot.in
इसके अतिरिक्तn खेल और भ्रमण प्रिय। वॉलीबाल में दिल्ली राज्य और दिल्ली विश्वपविद्या लय का प्रतिनिधित्व।
कविता बहुत अच्छी लगी.
aabhaar Dhananjay ji
कविता अच्छी है. कुम्हार साधारण मिटटी से बहुत कुछ बना देता है.
ji Aji ji. Sahi kahaa aapne, shilpkaar ki kalaa se moortiyaan bhi bol uthati hain.
बहुत सुन्दर कविता. निर्माण का आनन्द उसमें योगदान करने वाला ही अनुभव कर सकता है.
Aabhaar Vijay ji. Sahi kahaa aapne. Nirmaan ka aanand hi sachhi tripti hai.