धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

इनका धर्म और उनका धर्म

पिछले दिनों चार प्रमुख घटनायें घटीं-1. उत्तर प्रदेश सरकार ने रमजान का तथाकथित पवित्र महीना शुरू होते ही अनेक मन्दिरों पर से लाउडस्पीकर उतारने की फरमान जारी कर दिया, कारण कि लाउडस्पीकर की आवाज से रोजेदारों का ध्यान भंग होता है। हालांकि उनकी मस्जिदों पर भी लाउडस्पीकर लगे हुए हैं जो पूरी जोर की आवाज में दिन में कम से कम 5 बार और वैसे भी कभी भी चीख पड़ते हैं, परन्तु वे मानते हैं कि उनकी आवाज से दूसरों का ध्यान नहीं टूट सकता। प्रदेश में जिस नमाजवादी पार्टी की सरकार है, उसकी मुस्लिमपरस्ती की निर्लज्जता का यह एक उदाहरण मात्र है।

2. संसद भवन की कैंटीन में खराब खाने का विरोध करते हुए एक सांसद ने एक कर्मचारी के मुंह में रोटी ठूंसने की कोशिश की। उस पर बावेला हो गया, क्योंकि वह कर्मचारी मुसलमान था और रोटी मुंह में जाने से उसका रोजा टूट गया। हालांकि उसने रोटी खायी नहीं केवल उसके मुंह को छुआ गया था। लेकिन इतने से ही रोजा टूट गया। इस पर सारे चैनल इस तरह चिल्लपों मचाने लगे, जैसे इस्लाम पर कोई बड़ा भारी संकट आ गया हो। हालांकि कुछ दिन पहले ही बालताल में मुसलमान टट्टूवालों ने अमरनाथ यात्रियों के लंगरों में आग लगा दी थी, उनकी मूर्तियों को अपवित्र किया था। लेकिन तब कोई चैनल नहीं बोला। इस समाचार को दबाने की भी कोशिश की, जबकि वहां बहुत हिंसा हुई थी। मीडिया का दोमुंहापन कोई नयी बात नहीं है, लेकिन यहां हम उसकी चर्चा नहीं कर रहे हैं। हम तो इस्लाम की नाजुकता की बात कर रहे हैं।

3. अगर सड़क पर होकर हिन्दुओं का कोई धार्मिक जुलूस निकलता है, जिससे 10-15 मिनट के लिए सड़क बन्द हो जाती है, तो लोग उस पर गुस्सा करने लगते हैं और पुलिस भी लाठियां भांजने लगती है। लेकिन यही पुलिस हर शुक्रवार को घंटों के लिए सड़क रोककर नमाज पढ़वाती है और तब किसी को जनता की कठिनाई नजर नहीं आती।

4. राजस्थान से कुवैत में मजदूरी करने गये एक हिन्दू युवक शिब्बू की हत्या वहां के मुसलमानों ने इसलिए कर दी कि वह उनके रोजे के समय कोल्ड ड्रिंक पी रहा था। (इस समाचार की कतरन साथ में दी गयी है।) इसका अर्थ है कि मुसलमानों का रोजा केवल रोजेदार द्वारा खाने-पीने से ही नहीं बल्कि दूसरों द्वारा खाने-पीने से भी टूट जाता है।
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ये कुछ हाल के ही उदाहरण हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि यह तथाकथित धर्म इतना नाजुक है कि अत्यन्त मामूली बातों से खतरे में पड़ जाता है और फिर उसका विरोध करने के लिए अर्थात् अपने धर्म को खतरे से बचाने के लिए वे सड़कों पर उतरकर उत्पात करते हैं। यह एक दिन की नहीं बल्कि रोज की कहानी है। होली पर रंग का एक छींटा पड़ जाने से भी इनका धर्म भ्रष्ट हो जाता है। लेकिन अपने बकरीद या अन्य किसी भी त्यौहार के दिन लाखों पशुओं की हत्या कर देने से इनके धर्म पर कोई खतरा पैदा नहीं होता, तब इनका कोई धर्म भ्रष्ट नहीं होता। अगर किसी का रोजा टूट भी गया, तो क्या आफत आ गयी? बहुत से मुसलमान रोजा नहीं रखते, क्या उनके ऊपर कयामत आ जाती है?इससे भी अधिक आपत्तिजनक बात यह है कि हमारे देश की और कई राज्यों की तथाकथित सेकूलर सरकारें उनकी धर्मांधता को रोकने के लिए या नियंत्रण में रखने के लिए कुछ नहीं करती हैं, उल्टे उनको बढ़ावा ही देती हैं। वर्तमान में उ.प्र. की सरकार ठीक यही कर रही है। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि इस प्रकार निर्लज्जता से मुस्लिमपरस्ती करने पर दूसरे धर्म वालों के हृदय में उनके प्रति वितृष्णा ही पैदा होती है। पिछले लोकसभा
नावों में जिसतरह बहुसंख्यक जनता ने एकजुट होकर एक पार्टी भाजपा के पक्ष में मतदान किया और सभी मुस्लिमपरस्त दलों को धूल चटा दी, उससे इन्हें सावधान हो जाना चाहिए था। परन्तु लगता है कि इन पार्टियों ने अभी भी कोई सबक नहीं सीखा।

वस्तुतः मुस्लिमपरस्ती करने वाले दल स्वयं मुसलमानों के दुश्मन ही सिद्ध हो रहे हैं, क्योंकि वे समाज में भेदभाव को हवा दे रहे हैं। आगे चलकर इसका कुपरिणाम मुसलमानों को ही भुगतना पड़ेगा। अगर बहुसंख्यक लोग एकजुट होकर मुस्लिमों का आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार कर दें, जिसकी सलाह कई संगठनों और व्यक्तियों द्वारा दी जाने लगी है, तो वह मुस्लिमों के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण दिन होगा। अगर अभी भी मुस्लिम संगठन औ मुस्लिमपरस्त दल मुस्लिम समाज का सही मार्गदर्शन नहीं करते, तो वह दुर्भाग्यपूर्ण दिन शीघ्र आ जाएगा।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

10 thoughts on “इनका धर्म और उनका धर्म

  • हुकम शर्मा

    बहुत अच्छा लेख

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सार्थक लेखन ….. सरकार कुछ नहीं करती केवल कुर्सी के चक्कर में

  • धनंजय सिंह

    आपने बहुत सही लिखा है.

    • विजय कुमार सिंघल

      आभार !

  • बहुत अच्छा लेख है. जो न तो दुसरे धर्मों का सम्मान करते हैं और न न्यायलय के फैसलों का, उनका विनाश होकर रहता है.

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, सौरभ जी. आपका कहना सत्य है.

    • विजय कुमार सिंघल

      आभार, अभिवृत जी. यही प्रकृति का नियम है. जैसा करोगे वैसा भरोगे.

  • जगदीश सोनकर

    बहुत अच्छा लिखा है, विजय जी. सही भी है. ये अपने धर्म को ही धर्म मानते हैं, बाकी सब अधर्म हैं. अब इसका अंत निकट है.

    • विजय कुमार सिंघल

      धन्यवाद, जगदीश जी. आपका कहना सही है.

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