भारत को हुआ डायबिटीज
एक आश्चर्यजनक सत्य! संसार में सर्वाधिक शक्कर क्यूबा में उत्पन्न होेती है किंतु सबसे अधिक मीठे लोग भारत में!! विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत डायबिटीज की राजधानी है। अगले दो-तीन सालों में हम सबसे ऊपर होंगें। चलो कहीं तो आधुनिकता की दौड़ में हम पहले स्थान पर पहुँचने का सौभाग्य हमें मिला। यह बात जानने के पूर्व मैं प्रायः हीनभावना से ग्रस्त रहता था। सोचता था मेरी आत्मा का यह चोला धीरे-धीरे पुराना, मैला और चीथड़ा होता जा रहा है और मैं अपने देश के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ। भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव, आज़ाद, लक्ष्मीबाई, असफाकउल्ला, खुदीराम बोस की तस्वीरों को देखकर लगता कि ये लोग मुझे चिढ़ा रहे हैं कि हम तो भरी जवानी में देश के लिए शहीद हो गए पर तुू बैठे-बैठे बुढा रहा है.
डायबिटीज है तो अपने आप पर गर्व हुआ कि देश को प्रथम पंक्ति में खड़ा करनेवालों में भी शामिल हो गया हूँ। लग रहा था जैसे मुझे भारत की नागरिकता मिल गई। इस देश में कई लोग तो यह लाभ लिए बिना ही संसार से कूच कर जाते हैं। मेरा सौभाग्य कि मैं उन अभागों में से नहीं। मैं भी अब मीठा हो गया हूँ। कोई चाहे तो चख कर देख सकता है। देश को पहले स्थान पर पहुँचाने में मेरा यह महान योगदान देशवासी कभी नहीं भुला पाएँँगे। मेरी स्मृति में डाक टिकट जारी किया जाएगा, जयंती, स्वर्ण-जयंती और पुण्यतिथि मनायी जाएगी।
तुलसी बाबा भी मीठी वाणी बोलने के लिए कह गए हैं-”ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय। औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होय।।“ उन्हें क्या पता था कि मैं इतना मीठा हो जाऊँगा!? वरना कभी ऐसी शिक्षा न देते। खुशी यह है कि मित्र अब मुझे अब नीम चढ़ा करेला नहीं कह पाएँगे। वरना मेरे व्यंग्यों और चुटीली बातों के कारण उन्होंने मेरे बारे में यही धारणा बना रखी थी। बचपन मंे माँ-बाप मीठा बोलने की शिक्षा देते थे, पर मीठा नहीं खाने देते थे। कहते थे ज्यादा मीठा खाने से पेट में कीड़े हो जाएँगे।
हमारे देश में यह कहावत प्रचलित है कि- ज्यादा मीठे में कीड़े लग जाते हैं। हाथ कंगन को आरसी क्या? कहावत अपने को प्रमाणित भी कर रही हैै। भारत ही मीठा हो गया है। पूरे देश को डायबिटीज हो गयी है। कीड़े पड़ रहे हैं-घोटालों के कीड़े। परिणाम और प्रमाण दोनों सामने हैं। घोटालों के अणु-जीवाणु-बिंबाणु-विषाणु सब एक साथ पैदा हो गए हैं। कोई काॅमनवेल्थ खेलों को खा गया, तो कोई टू जी स्पेक्ट्रम को डकार गया। कोई तो बोफोर्स की तोप तक निगल गया। कुछ कीड़े शहीदों की ताबूत में घुस गए। भला करे भगवान कि शव शहीदों के थे वरना ये कीड़े लाशों को भी पचा जाते। कुछेक कीड़े तो पशुओं का चारा चर के साँड़ बने फुफकारते फिर रहे हैं।
और कीड़ों का ‘सरदार’ तो ‘राजा’ पर भारी पड़ गया। वह कोयला तक चट गया। वह कोयला जो गरीबों की अंगीठी जलाने के काम आता था, जिसका प्रयोग कर साक्षर भारत के युवक-युवतियाँ दीवारों पर अमिट प्रेम संबंधों का प्रदर्शन करते थे। वह कोयला जिसका प्रयोग कर नौनिहाल भावी समय के एम.एफ हुसैन बनने की तैयारी करते थे और मनचाहे अश्लील चित्र बनाकर अपनी चित्रकला निखारते थे। उसमें तक कीड़े लग गए! देश मीठा हो गया है और मीठे में कीड़े लग जाते हैं। आज विज्ञान अपने पर इतरा नहीं सकता। डायबिटीज के कीड़ों को मारने की वह दवा नहीं बना सका है।
बाबा जी नुस्खा बताते हैं कि प्राणायाम करो। पर कीड़ों ने बाबा जी की ही लंगोटी खींच ली। आज के वैज्ञानिक युग में कोयला, घोटालों के कीड़ों के खाने के काम आ रहा है। वैज्ञानिक हतप्रभ हैं। कोई पाउडर, कोई दवा, कोई द्रव्य नहीं जो इन्हें नष्ट कर सके। इनकी संख्या गुणोत्तरीय बढ़ रही है। हर सरकारी कुरसी पर एक कीड़ा बैठा है, जो देश की अर्थ व्यवस्था को सड़ा रहा है, कुतर रहा है। क्यों!?- क्योंकि भारत अब मीठा हो गया है। इस डायबिटीज को कोई तो कंट्रोल करो नहीं तो ये कीड़े सब चट कर जाएँगे।
शरद जी , बहुत जूते मारे हैं आप ने इन लोगों के सर पर लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला . कोई एंटीबायोटिक्स इन पर काम नहीं करने वाला . कीड़े और बड़े हो रहे हैं . यह देश है बड़े घुटालों का , इस देश का यारो किया कहना ……
करारा व्यंग्य ! बहुत ख़ूब शरद जी।