ये खूबसूरत रिश्ता ……. (दोस्ती का )
यूँ तो सब रिश्ते
खुदा की देन हैं
एक दोस्त ही हम
अपने अनुरुप चुनते हैं
जो हमारे जैसा हो ,
जिसके विचार और सोच
हमसे मिलती हो
तभी दोस्ती का काँरवा
आगे बढ़ता है
विस्वास के धागे का
इसमें विशेष महत्व है
ये धागा जितना मजबूत
तो रिश्ता भी उतना ही
दृढ़ , मजबूत होता है
न इसमें हिसाब रखा
जाता लेन-देन का
जो दिया दिल से दिया
कोई अहसान नहीं किया
उपकार या अहसान
जैसे शब्द तो इसमें
कदापि नहीं आते
एक दूसरे की समझ
इसे और ज्यादा
मजबूती देती है
इसमें सारे गम अपने
सारी खुशियाँ तुम्हारी
न वक़्त का कोई पहरा
न ही मजबूरियों का
कोई बंधन
न इसमें कोई उम्र
का बंधन होता है
न अमीर गरीब का
न ही रूप रंग का
न ही जात-पात का
जैसे हो वैसे ही मंजूर
न कोई बदलाव की चाह
आइने की तरह साफ
छल कपट और बैर से
कोसों दूर होता है
ऐसा ही होता है ये रिश्ता ……..(प्रवीन मलिक)
परवीन बहन , जो आप ने लिखा है सही है लेकिन सच्ची दोस्ती एक दो के साथ ही होती है . यों तो दोस्त बहुत बनते हैं लेकिन सभी से निभ नहीं पाती . किसी का एक दोस्त हो सकता है , किसी के ज़िआदा हो सकते हैं लेकिन दोस्ती का अपना ही एक मज़ा होता है .
गुरमेल भाई साहब ये आपने सही कहा की सच्ची दोस्ती हर किसी से नहीं होती ,, कुछ ही ऐसे दोस्त होते हैं जो हमारे बहुत करीब और हमारे दुःख दर्द और खुशियों के सच्चे साथी होते हैं … सादर धन्यवाद
बहुत अच्छा लिखा है, प्रवीन जी.
सादर आभार आपका सर जी 🙂