चलो महिला दिवस ख़त्म हो गया बधाइयों का सिलसिला भी ख़त्म हुआ अब किसी को कोई परेशानी नहीं होगी न उनको जो रोज महिला दिवस समझकर औरतों का तहेदिल से सम्मान करते हैं उनकी भावनाओं को ठेस नहीं लगेगी कि हम तो रोज ही करते हैं फिर आज का दिन ही क्यों । न ही […]
Author: प्रवीन मलिक
अधूरा प्यार
अधूरा प्यार…. श्रुति बहुत ही खुशमिजाज लड़की थी, हर पल को बखूबी जीने वाली, इस तरह मानो कल आएगा ही नही जो है बस अभी है ! वह खुशमिजाज तो थी ही साथ ही साथ पढ़ने-लिखने में भी बहुत अच्छी थी। श्रुति जैसे ही बाहरवीं कक्षा में आई हर तरफ से उसको नसीहतें मिलने लगीं […]
पढ़े-लिखे नादाँ…..
पढ़-पढ़ पोथी गुणीजन कहला रहें हैं विद्वान् । प्रेम को न समझ सके तो काहे कहला रहे हैं महान।। पढ़-पढ़ पोथी गुणीजन कहला रहे हैं विद्वान् । इंसानियत ही न समझ सके फिर काहे के हैं वो इंसान।। पढ़-पढ़ पोथी गुणीजन कहला रहे हैं विद्वान् । ईश को भी बाँट दिया उन्होंने दे रहे हैं […]
सावन की बरसात …
बारिश की बूंदे मोती सी चमक रही हरे-हरे पतों पर कली-कली खिल रही सब कुछ धुला-धुला सा धीमी-धीमी सी पवन चिड़ियों की चहक कोयल की कूक अंबवा की महक जामुन का स्वाद सावन के गीत झूलों की याद सखियों का झुरमट पकवानों की सुंगध घेवर की थाल बड़े बताशों की सफेदी बहुत कुछ याद दिला […]
गुस्ताख दिल …
ऐ दिल सीख ले ज़माने में हालात के हिसाब से ढलना कि तेरे शौक और फरमाइशें मेरे तो बस के नहीं हैं । जो तुझे चाहे उसकी तुझे कदर नहीं दौड़ता है बेसबब उन गलियों में जो किसी भूल-भुलैया से कम नहीं ।। ऐ दिल जो तू करता है वफ़ा उनसे जिन्होंने वफ़ा का मतलब […]
वक्त के साथ गुजरते हुये हम !
दौड़ रहा है वक्त और हम हम भी तो दौड़ रहे हैं बेहताश होकर कदम ताल मिलाने को कहीं छूट न जायें पीछे हम ! पर इस भागम-भाग में कितना कुछ पीछे छूट जाता है जब तक हिसाब लगाते हैं तब तक बहुत कुछ छूट चुका होता है ! और फिर समय का फेर […]
खूबसूरत दिखने वाली बेरहम दुनिया …
भोली-भाली सी मासूम कली लाड-प्यार और नाजों से पली दुनियादारी की न थी उसे समझ बेखौफ उड़ने की ख्वाहिश में देखने दुनिया वो घर से निकली देख हर चौराहे पर चकाचौँध निरंतर आगे ही आगे बढ़ चली सहसा एक मोड़ पर ठिठक गई कुछ वहसी आँखे घूर रही थी दौड़ना चाहती थी मुड़के वापस पर […]
राखी स्पेशल …
हर आहट बहना चौंक जाए भैया न आए राखी में पिरो ढ़ेर शुभकामना भेजी विदेश बहना दूर बाट देखें अखियाँ भाई उदास नयन कोर सज रहे हैं मोती कलाई सूनी दुआएँ मेरी लिपटी हैं धागे में रक्षा कवच प्रवीन मलिक ^_^
कविता
यूँ तो तुम बहुत अच्छी हो मन की सुन्दर हो व्यवहार की भी बहुत अच्छी हो सबसे मिलनसार हो बस मुझसे ही बेरुखी पाली है तुमने जाने क्यूँ इतनी सरहदें बनाकर रखी हैं तुमने तेरे-मेरे दरमियान न तुम खुद उस पार आती हो न ही मुझे इस पार आने देती हो नदी के दो किनारों […]
बह जाने दो ना दर्द को
तुम्हारा मौन सालता है बहुत शब्द न सही आँखों से बोल मौन की ये भाषा मुश्किल नहीं यूँ तो पढ़ना पर शब्द की बयानगी से दर्द निकल जाता है नफरत बह जाती है तो तुम भी बह जाने दो ना दर्द को मौन से तो ये दर्द जमता चला जाता है परत दर परत और […]