कविता

लेकर हाथ तिरंगा

लेकर हाथ तिरंगा।

रैली,धरना,हड़तालों में
होता है अब दंगा।

नहीं बोलने की आज़ादी,
लोग लगाते नारे।
रोक सड़क की आवाजाही,
बैठें पैर पसारे।

लोकतंत्र की देखो खूबी,
करे झूठ को नंगा।

सारे मंचों से जो पढ़ते ,
जनता का चालीसा।
झूठे वादों की चक्की में,
सबने उसको पीसा।

कोई रोता बदहाली पर,
कोई कहता चंगा।

व्याख्या में जब संविधान की,
घटतौली-सी होती।
पीट-पीटकर माथा अपनी,
भारत माता रोती।

हमको पावन करनी होगी,
मैली मन की गंगा।
लेकर हाथ तिरंगा।।

— डाॅ बिपिन पाण्डेय

डॉ. बिपिन पाण्डेय

जन्म तिथि: 31/08/1967 पिता का नाम: जगन्नाथ प्रसाद पाण्डेय माता का नाम: कृष्णादेवी पाण्डेय शिक्षा: एम ए, एल टी, पी-एच डी ( हिंदी) स्थाई पता : ग्राम - रघुनाथपुर ( ऐनी) पो - ब्रह्मावली ( औरंगाबाद) जनपद- सीतापुर ( उ प्र ) 261403 रचनाएँ (संपादित): दोहा संगम (दोहा संकलन), तुहिन कण (दोहा संकलन), समकालीन कुंडलिया (कुंडलिया संकलन), इक्कीसवीं सदी की कुंडलियाँ (कुंडलिया संकलन) मौलिक- स्वांतः सुखाय (दोहा संग्रह), शब्दों का अनुनाद (कुंडलिया संग्रह), अनुबंधों की नाव (गीतिका संग्रह), अंतस् में रस घोले ( कहमुकरी संग्रह), बेनी प्रवीन:जीवन और काव्य (शोध ग्रंथ) साझा संकलन- कुंडलिनी लोक, करो रक्त का दान, दोहों के सौ रंग,भाग-2, समकालीन मुकरियाँ ,ओ पिता!, हलधर के हालात, उर्वी, विवेकामृत-2023,उंगली कंधा बाजू गोदी, आधुनिक मुकरियाँ, राघव शतक, हिंदी ग़ज़ल के साक्षी, समकालीन कुंडलिया शतक, समकालीन दोहा शतक और अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। पुरस्कार: दोहा शिरोमणि सम्मान, मुक्तक शिरोमणि सम्मान, कुंडलिनी रत्न सम्मान, काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान, साहित्यदीप वाचस्पति सम्मान, लघुकथा रत्न सम्मान, आचार्य वामन सम्मान चलभाष : 9412956529

One thought on “लेकर हाथ तिरंगा

  • डॉ. बिपिन पांडेय

    पटल पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय

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