मुक्तक : ***हौसले***
हौसलों को कभी कम न करो,
आंखों को कभी नम न करो|
कुछ तो सोंच रही होगी तुमसे,
पूरी करो उन्हें बस गम न करो|
हौसलों को कभी कम न करो,
आंखों को कभी नम न करो|
कुछ तो सोंच रही होगी तुमसे,
पूरी करो उन्हें बस गम न करो|
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Vibha Rani ji aap ko yeh achchi lagi dhanyvad
बहुत ही सुंदर मुक्तक
gurmail singh ji dhanyvad, aap ko pasand aya hai mujhey achcha laga hai
saurabh ji v vijay singhal ji dhanyavad
सुन्दर मुक्तक
मनोज भाई , कविता की मुझे इतनी समझ नहीं लेकिन जो लफ्ज़ आप ने लिखे हैं पिओर गोल्ड हैं किओंकि इन्हीं बातों के सहारे अपना जीवन आगे बड़ा रहा हूँ . धन्यवाद .
अच्छा मुक्तक !