मुक्तक
1
प्रकृति-ललित-जाल में उलझा लोचन
रिमझिम मेघ बरिसत ऋतु दुखमोचन
सरि-आईने में निहारे सजे चन्द्र मुखडा
हुआ चकित चकोर देख दृश्य मन रोचन
===
2
एक औरत दूसरी औरत को समझने में चूक जाती है
लगता है मुझे हमेशा बीच की कड़ी ही कमजोर होती है
सबकी बात नहीं जहाँ चूक हो जाती है वहाँ की कर रहे हैं
बहुत सास-बहु , बहु-सास , ननद-भौजाई में नहीं बनती है
==
बीच की कड़ी = भाई बेटा पति यानि पुरुष
बढ़िया मुक्तक।
शुभ संध्या
आभारी हूँ …. बहुत बहुत धन्यवाद आपका …