रक्षा बंधन विषयक हाइकु
ताकती द्वार
बहन अश्रुधार
भाई का प्यार ।
सजी कलाई
हँस पड़ी अँखियाँ
राखी जो आई ।
डाकिया आया
राखी अक्षत रोली
साथ है लाया ।
धागा है कच्चा
मजहब न देखे
रिश्ता ये सच्चा ।
रक्षा बंधन
नोंकझोंक से भरा
स्नेह बंधन ।
स्नेह अपार
नोंक झोंक से भरा
भाई का प्यार ।
बिटिया अड़ी
बाँधूंगी न मै राखी
दिला दो घड़ी ।
बहना आजा
सरहद पुकारे
ले सूत धागा ।
पहन राखी
भाई है इतराया
बना है पाखी ।
सीमा के पार
राखी का इंतजार
बहना प्यार ।
राखी का पर्व
दीदी का स्नेह मिला
भाई को गर्व ।
पूनों का चाँद
राखी बन चमका
नभ आनंद ।
प्यार से पगे
सूत के कच्चे धागे
कलाई बंधे ।
बिफरा भाई
थक सोयी अँखियाँ
राखी न आई ।
आशीष धन
चाहे बस बहना
न कि कंगन ।
बेटी न जाई
बेटा सूनी कलाई
माता लजाई ।
गुंजन अग्रवाल
shukriya bhamra bhai
गुंजन बहना , आप ने तो मुझे राखी दे दी . धन्यवाद .