***दिखेगा दूर तक***
हर अन्त के बाद
उजालों की रफ्तार
देखते ही बनती
तोरण हमेशा ही
करते हैं स्वागत
आने दो सुबह की
केवल किरण
सब इसी तरह बदलते हुए
दिखेगा दूर तक
—मौन
हर अन्त के बाद
उजालों की रफ्तार
देखते ही बनती
तोरण हमेशा ही
करते हैं स्वागत
आने दो सुबह की
केवल किरण
सब इसी तरह बदलते हुए
दिखेगा दूर तक
—मौन
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dhanyvad vijay singhal ji
अच्छी कविता.