कविता

स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर कुछ हाइकु

वक़्त परिंदा
वीर चूमता फंदा
झूमा तिरंगा ।

टूटी है चूड़ी
शहीद शहादत
पग में बेड़ी ।

माटी के लाल
सो गए माटी गोद
माटी निहाल ।

मैली माँ गँगा
भिखमँगा सपूत
थामे तिरंगा ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

4 thoughts on “स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर कुछ हाइकु

  • गुंजन अग्रवाल

    bahut bahut dhnywad Vijay sir ji

  • गुंजन अग्रवाल

    tahe dil se aabhar aa Gurmel sir ji

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत बढिया .

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया हाइकु.

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