दाऊद को भारत न ला पाने का कारण कौन ? पाकिस्तान या भारत के “नेताओं” की इच्छा शक्ति ?
हमारे देश मे दो तरह के नेता पाए जाते हैं आइए आपको एक जीवंत उदाहरण से समझाता हूँ
सितंबर 2005 मे सरदार पटेल मार्ग पर एक दिन एक गाड़ी को पुलिस ने पकड़ा , पुलिस ने गाड़ी मे पाया की चार लोग थे जिसमे कुख्यात शूटर और दाऊद के लिए काम कर चुका रोहित मल्होत्रा भी था , उसके साथ उसके दो गुर्गे और चौथे आदमी का नाम था अजित कुमार डोवल
हाँ हाँ ये वही अजित कुमार डोवल हैं जो आज हमारे देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं
अजित डोवल ने आईबी से रिटायर होने के बाद शूटर रोहित मल्होत्रा को दाऊद की सुपारी दी थी ,कुछ लोग ये भी मानते हैं की ऐसा उन्होने कुछ कट्टर राष्ट्रवादी “नेताओं” के सहयोग से किया था(जिनका नाम यहाँ नहीं लिख सकते ) , लेकिन दाऊद के गुर्गे हर पुलिस तंत्र मे घुसे हुए हैं और ये बात सर्वविदित है की सबसे ज्यादा दाऊद के पिल्ले मुंबई पुलिस मे हैं
जैसे ही ये खबर दाऊद को मिली की अजित डोवल उसकी सुपारी रोहित मल्होत्रा को दे रहा है उसने तुरंत मुंबई पुलिस मे बैठे अपने पिल्लों से दिल्ली पुलिस को सूचना भिजवाई और इन चारों को गिरफ्तार कर लिया गया और जब दिल्ली पुलिस ने उनसे पूछताछ की तब वो भी हक्के बक्के रह गए क्योंकि अंजाने मे दिल्ली पुलिस ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार दी थी ।
उस समय अजित कुमार को लेकर पत्रकारों के बीच कई चर्चाएँ हुआ करती थीं लेकिन अजित कुमार को उसी तरह से गायब कर दिया गया जैसे राजीव दीक्षित को किया गया था
नमन है अजित डोवल जैसे राष्ट्रभक्तों को जो आईबी प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद भी देश सेवा के कार्य मे लगे हुए थे !
(प्रस्तुत तथ्य वरिष्ठ पत्रकार और आईबी तथा रक्षा मंत्रालय के जानकार के वी सुरेश के मार्गदर्शन द्वारा लिखी गयी है )
ये तो हुए पहले टाइप के नेता जिन्होने अजित डोवल को सहयोग दिया जिससे दाऊद का खत्मा किया जा सके
अब दूसरे टाइप के नेता के बारे मे चर्चा करते हैं
1993 मे मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच को अच्छे से जानकारी थी की दाऊद दुबई मे कहाँ है और किस स्थिति मे है
लेकिन दाऊद के पिल्ले सिर्फ पुलिस मे ही नहीं हैं कई नेता भी उसकी चरणवंदना कर चुके हैं , 1993मे मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने महाराष्ट्र राज्यसरकार के मुख्यमंत्री शरद पवार से दुबई जाकर दाऊद को पकड़ने की अनुमति मांगी तब पवार ने साफ मना कर दिया इसके बाद भी मुंबई पुलिस के कर्मठ अधिकारियों ने हार नहीं मानी उन्होने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी लेकिन तब केंद्र के प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव और गृह मंत्री शंकरराव चव्हाण ने भी अनुमति नहीं दी !
ये हैं दूसरे टाइप के नेता जिन्होने दाऊद जैसे विषैले नाग को बढ्ने दिया और इसके कारण सैकड़ों लोग मारे गए
वैसे आज के समय मे अच्छी सूचना तो ये है की आज दिल्ली मे अजित डोवल जैसे अधिकारी हैं और उस तरह के “नेता” भी सत्ता मे हैं जिन्होने उस समय अजित डोवल की सहायता की थी
मेरे ब्लॉग युवाउद्घोष से
http://yuvaudghosh.blogspot.in/2014/08/blog-post_17.html
आपकी बात में दम है। अगर कई पार्टियों में दाऊद के गुर्गे न घुसे होते, तो वह भारत से सुरक्षित निकलकर नहीं भाग सकता था।