कहानी

पाप की पहचान

 

रवि ने अपनी गर्भवती पत्नी वीना को अल्ट्रा साऊँड़  स्कैन  करवाने भेज दिया | वो जानना चाहता था, कि गर्भ में पलने  वाला बच्चा इस बार भी बेटी तो नहीं ! दो लड़कियों का बाप होने के बाद  आज, उस ने सोचा कि जो दुनिया करती है वो क्यों  न करे! दुनिया भी तो बेटियों को गर्भ में ही खत्म  करके सिर्फ अपना  वंश चलने वाले लड़कों को ही जनम दे रही है । उसके बड़े भाई के दो बेटे थे । उसने भी तो ऐसा ही  किया था| जब भी वो अपने लड़कों के साथ उनके घर आता तो अक्सर उसे ताने मारता हुआ कहता ” अरे भाई रवि कब ख़ुशख़बरी सुनाएगा ? कब लड़के का बाप बनेगा … अपनी सारी जायदाद दामादों में ही बांटेगा क्या ? फिर वो अपने बेटे को बाहों में उठा कर और अपनी छाती तान कर , मूछों को ताव दे कर बड़े  घमण्ड से  कहता आखिर इन लड़कों ने ही तो वंश चलाना है ।”  वीना यह बातें सुन कर बहुत दुखी होती पर, कुछ कह नहीं पाती और सोचती, अगर इन  जैसे लोगों के कारण लड़कियां धरती  पर  जनम ही  नहीं ले पाएगी  तो ये  किस से विवाहेंगे अपने लड़कों को  और कैसे चला पाएंगे अपना वंश ? आखिर लड़कों को जन्म देने  वाली भी तो ये लड़कियां ही होती है |

रवि अपने भाई के इन तानों से तंग आ चुका था. वो मन ही मन कुढ़ता रहता था,   पर भाई की इन सब बातों का असर उस पर हो चुका था. आज उसने तय कर लिया कि स्कैन से पता चल ही  जाएगा, लड़का हुआ तो अच्छी किस्मत, वर्ना लड़की को मैं गर्भ में ही खत्म करवा दूंगा और उसने वीना  को आदेश दे कर स्कैन करवाने भेज दिया और जब  पता चला कि गर्भ में लड़की है, तो रवि ने गर्भपात करने का हुक्मनामा जारी कर दिया.  वीना ने काफी विरोध किया, पर रवि के आगे उसकी एक न चली । बहुत दिन घर में क्लेश, लड़ाई-झगड़ा चलता रहा. आखिर  अपने रिश्ते और बेटियों के भविष्य  के बारे  में सोच  कर वीना बुझे हुए मन से यह पाप करने चल पड़ी, पर मन-ही-मन  भगवान से  अपनी बच्ची को बचाने की प्रार्थना करने लगी ।

उस दिन श्री कृष्ण जनमाष्टमी थी । मंदिरों को खूब सजाया गया था. भजन-कीर्तन हो रहे थे । रवि अपनी दूकान खोलने जा रहा था , भगवान  की मर्जी ,ठीक मंदिर के सामने उस का स्कूटर खराब हो गया और उसने सोचा, चलो भगवान के दर्शन कर लिए जाएं  । जब वो मंदिर के अंदर दाखिल हुआ तो पंडित जी कृष्ण जन्म की कथा  सुना रहे थे । रवि भी  कृष्ण जी की मूर्त्ति के  आगे  शीश झुका कर बैठ गया । पंडित जी ने  कथा शुरु की. द्वापर युग में जब राजा कंस की बहन देवकी की शादी वासुदेव से हुई, देवकी की विदाई के समय  राजा कंस को भविष्यवाणी हुई, कि उसकी बहन और बहनोई की होने वाली आठवीं औलाद कंस का वध करेगी । यह बात सुनते ही मृत्यु  के भय से , कंस ने अपनी बहन और बहनोई दोनों को बंदी बना लिया और कारागार में डाल दिया|

 

कंस उनके एक-एक बच्चे को जनम लेते ही,  बड़ी ही बेदर्दी से जेल की दीवार पर पटक-पटक कर मार देता । इस तरह उसने छह मासूम बच्चों को मार डाला । सातवीं संतान को कर्षण द्वारा यशोदा जी के गर्भ में प्रत्यारोपित किया गया, जो बलराम जी हुए और देवकी के गर्भपात की अफ़वाह फैला दी गई. जब उनकी आठवीं औलाद कृष्ण भगवान  ने जन्म लिया , तो वे चमत्कार दिखाकर वासुदेव के ज़रिये कारागार से निकल कर माता यशोदा के घर पहुंचे और यशोदा की पुत्री, जो भगवान द्वारा रचित एक योगमाया थी, को कारागार में  कृष्ण जी के स्थान पर रखा गया । कंस ने जैसे ही उस कन्या को मारने के लिए दीवार पर फेंका तो  वह आकाश की ओर उड़ी और बिजली की तरह कड़क कर बोली ” मूर्ख कंस, तुझे मारने वाला वृन्दावन में पल रहा है, जो जल्द ही तुझे  तेरे पापों का दंड देगा ।” यह सुन कर कंस ने दुनिया में तबाही मचा दी. उस रात जन्म लेने वाले सभी बच्चों को मरवा डाला. कृष्ण जी को बचना था, सो बच गए. कृष्ण जी ने बड़े हो कर कंस मामा का वध किया । इस तरह कंस ने अपनी बहन और बहनोई पर और दुनिया पर अत्याचार किये और बच्चों को मारने का घोर पाप करके वो सबसे बड़ा पापी कहलाया, जिस का वध करने के लिए भगवान ने खुद धरती पर अवतार लिया ।

 

पंडित जी ने कथा सुना कर प्रसाद बांटना शुरु किया. तभी एक औरत ने पंडित जी से पूछा ” पंडित जी आज कल जो  दुनिया में कन्याओं की गर्भ में ही हत्याएं हो रही हैं, क्या  यह पाप नहीं ? रवि यह सब कुछ सुन रहा था । पंडित जी जवाब ने  दिया, कि कंस जैसे पापी को सजा देने के लिए भगवान ने खुद अवतार लिया । ये लोग जो अपनी ही औलादों  को जन्म से पहले ही खत्म करवा देते हैं, उन से बड़ा पापी और कौन होगा? ये लोग भी अपने पापों की सजा जरूर पाएंगे ।”

ये सब सुनकर रवि के माथे पर चिंता की लकीरें उभरीं । भगवान कृष्ण की  मूर्त्ति की ओर देख वो कांप उठा ,उसे लगा जैसे वो कंस जैसा पापी हो, जिस ने मासूम बच्चों को इतनी बेरहमी से मार डाला था. उसके कानो में उन मासूम बच्चों का रुदन, चीख-पुकार सुनाई देने लगा, जिन्हें कंस ने दीवार पर पटक-पटक कर मार डाला था । जब रुदन की ध्वनि से उसका सर फटने लगा, तो उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए । उसमें भगवान  कृष्ण जी की ओर  देखने की हिम्मत न रही, वो पसीने से तरबतर हो गया । फिर मन-ही-मन  कुछ  सोच कर  रवि जल्दी से उठा, मंदिर से बाहर निकला ,अपनी पत्नी वीना को मोबाइल  पर कॉल करके घबराए हुए स्वर में  बोला ” वीना अभी ऑपरेशन तो नहीं करवाया न ?” नहीं” वीना ने कहा । शुक्र है भगवान का…( रवि   ने  शांति भरी सांस ली )  वीना घर  वापिस आ जाओ, गर्भपात  करवाने की कोई ज़रूरत नहीं ।  मुझे बेटी मंजूर है. आज मैं बहुत बड़ा पाप करने से बच गया |

6 thoughts on “पाप की पहचान

  • उपासना सियाग

    जागो तभी सवेरा, सुन्दर और प्रेरक कहानी

    • मनजीत कौर

      सही कहा आप ने उपासना जी ,बहुत धन्यवाद

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत मार्मिक कहानी लिखी है, बहिन जी. अगर लोग भगवान् कृष्ण के चरित्र से कुछ शिक्षा लें, तो ऐसे पाप करने से बच जायेंगे.

    • मनजीत कौर

      बहुत शुक्रिया भाई साहब ,आप ने बिलकुल सही कहा ,इतने हार्दिक कॉमेंट के लिए धन्यवाद

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    मंजीत बहन , कहानी दिल को छू लेने वाली है और आज के ज़माने का नंगा सच है . यह रिशिओं मुनिओं के देश में हो रहा है . आज मुझे एक सजन की याद आ रही है जिस के तीन लड़के थे और एक लड़की और आगे पोते भी थे . बहुत घमंड से वोह कहा करता था , मेरे बेटे तो शेर हैं शेर ! मैं किसी को किया समझता हूँ . लेकिन वक्त का कोई पता नहीं चलता . आज वोह बेटों से धक्के खा रहा है लेकिन बेटी उन की देख भाल कर रही है . लेकिन एक बात है कि धर्म अस्थान में जाने का कभी कभी फैदा भी जाता है . जो भी किसी धर्म को मानता है उसे अपने धर्म अस्थान में जरुर जाना चाहिए और धर्म का सच्चे दिल से पालन करना चाहिए .

    • मनजीत कौर

      बहुत शुक्रिया भाई साहब और इतने हार्दिक कॉमेंट के लिए आप का बहुत धन्यवाद

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