सेकुलरिटी की कीमत चुका रहा है ब्रिटेन
दो दिन पहले एक विडियो इन्टरनेट पर दिखाई दिया था, जिसमें एक इस्लामी आतंकवादी बहुत क्रूरता से एक अमेरिकी पत्रकार का सिर कलम कर रहा है. अब पता चला है कि सिर काटने वाला वह आतंकी ब्रिटेन में पैदा हुआ और पला-बढ़ा मुसलमान है.
यहाँ यह स्मरणीय है कि भूतकाल में ब्रिटेन ने अपनी सेकुलर नीति के अनुसार सभी देशों और धर्मों के लोगों को उदारता से ब्रिटेन में बसने दिया था. हालांकि उसने भारत की तरह उनके लिए कोई विशेष कानून नहीं बनाये और न कोई विशेष सुविधाएँ दीं. इस नीति का लाभ लेकर पाकिस्तान, इरान और बांग्लादेश आदि देशों से बड़ी संख्या में मुसलमान ब्रिटेन में बस गए, जिनकी संख्या इस समय २७ लाख है. ब्रिटेन की कुल ६ करोड़ ३० लाख की आबादी में यह संख्या मुश्किल से सवा चार प्रतिशत है, लेकिन इनके ही कारण ब्रिटेन की नाक में दम आ गया है.
इस समुदाय की जो नयी पीढ़ी है वह ब्रिटेन में ही पैदा हुई और पली बढ़ी है, लेकिन वे इस्लामी कट्टरता और क्रूरता में अफगानी और पाकिस्तानी जेहादियों से भी अधिक हैं. उनमें से ही बहुत से नौजवान इस्लामी आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर ऐसी जघन्य हरकतें कर रहे हैं और संसार के अनेक देशों में सक्रिय हैं.
इससे स्पष्ट है कि ब्रिटेन अपनी तथाकथित सेकुलरिटी की भारी कीमत चुका रहा है. इसका समाधान क्या है, यह किसी को नहीं सूझ रहा.
वैसे यह समस्या केवल ब्रिटेन में नहीं बल्कि उन सभी देशों में कम-अधिक मात्रा में विद्यमान है जहां मुस्लिमों की बड़ी संख्या है. यह ‘शांतिप्रिय’ समुदाय न तो कहीं स्वयं शान्ति से रहता है और न दूसरों को रहने देता है.
विजय कुमार सिंघल
आप सही कह रहे हैं , विजय भाई. एक दिन ब्रिटेन में आएगा जब यहाँ के लोग भी क्रान्ति लाने के लिए बोलने लगेंगे . और इस में दुःख उठाएंगे वोह लोग जिन को इस बातों से कोई लेना देना नहीं. मुझे ऐसा लगता है कि सारे युरप में इन्कलाब आएगा जब हिटलर के समय जैसे हालात पैदा हो जाएंगे. किओंकि जब किसी चीज़ की इन्तहा हो जाती है तो चेंज अवश्य आती है .