कविता

Ego है तो Go ….

मेरे बेटे के facebook के profile में 1500 friend हैं ….

उससे एक दिन मैं पुछी :-
इतने को Add क्यूँ करते हो …. ?
कैसे Manage करते हो …. ?
इतने सारे Friend हैं …. ?

तो वो बोला …. :-
जो मुझे जानते हैं ….
या
जानना चाहते हैं ….
मैं जिसे जानता हूँ ….
या
जानना चाहता हूँ ….
सब से जुड़ता जाता हूँ ….
घर – परिवार – रिश्तेदार हैं ….
School – College था ….
Office – Institution है ….
देश – विदेश है ….
Train – Aeroplane में मिलना हो जाता है ….
वे जुड़ जाते हैं ….
कभी-कभी तो ऐसा होता है , कि दो आपस के दुश्मन मेरे Profile में भी होगें ….
दोनों मेरे अच्छे दोस्त भी हैं ….

Q.तुम्हें फर्क नहीं पड़ता …. ?

Ans.क्यूँ ….?
मुझे फर्क पड़ना चाहिए …. ?

Q.कभी कभी उलझन नहीं होती …. ?

Ans.एक , दूसरे के प्रति क्या सोचते हैं ….
वो दोनों अपने निजी जिंदगी क्या करते हैं , उससे मुझे क्या मतलब ….
दोनों मेरे अपने हैं …. दोनों अगर मुझे ये कहें उसका साथ छोड़ दो तो मुझे तो दोनों को अपनी दोस्ती से बाहर का रास्ता दिखलाना होगा …. और जहां तक सही और गलत का सवाल है , तो ….. वे दोनों एक दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ये उनका निजी मामला है …. मैं तो ये देखता हूँ कि वे दोनों मेरे साथ कैसा व्यवहार करते हैं …. मेरे जिंदगी में कौन रहेगा या कौन नहीं रहेगा या किसकि कितनी महत्व हैं या रहनी चाहिये ये तो मेरा निजी मामला है …. किसी के साथ काम करने से वो दोस्त नहीं हो जाता और कोई विदेश में है , तो उसका महत्व कम नहीं हो जाता …. किसी को profile में Add करता हूँ और कोई ऐसा मेरा बहुत करीबी जो मुझे पहले से जानता है , उस आने वाले के कारण मुझे Unfriend कर देता भी है , तो I Do’t care …. वो उसकी मर्ज़ी होगी ….
उसे मेरी दोस्ती ज्यादा महत्वपूर्ण है या उसका Ego ….
Ego है तो Go ….
Ego आंख की किरकिरी की तरह है …. बिना उसे साफ किये आप साफ साफ नहीं देख सकते ….
( दो ही चीजें अनन्त हैं – ब्रह्माण्ड और मनुष्य की मूर्खता ….
पहले के बारे में मैं पक्की तरह से नहीं कह सकता …. ~ अलबर्ट आइन्स्टीन ~ )

अधिकतर लोगों को एहसास ही नहीं होता है कि जब वे किसी दुसरे को दोषी ठहराते हैं ,

तो वे खुद को कितनी बड़ी गलफहमी में जकड़ते हुये अपनी शक्तियों को खो देते हैं ….. !!

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

One thought on “Ego है तो Go ….

  • विजय कुमार सिंघल

    आपके पुत्र का विचार बिलकुल सही है. मेरे तो पूरे 5000 फेसबुक फ्रेंड हैं. उन में से मुश्किल से 250 को मैं जानता हूँ. दोस्त सब तरह के हो सकते हैं. आपस में दुश्मन भी हमारे दोस्त हो सकते हैं. एक शेर सुनिए-
    मुहब्बत की फकत एक शर्त अपने पास रखता हूँ.
    मुहब्बत आपके दुश्मन से भी रक्खूं इजाजत हो.

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