क्षणिकाएं
१. गम का बाजार
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परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बनी कि
हमारें अश्रु मोती बन बहे
हुई जटिल समस्या कि
अब रोके ना रुकें
गम के इस बाजार में
गम ही हमको मिले |
२. आईना
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आईना को जब हमने
आईना दिखाना चाहा तो
आईना भी शर्मसार हो गया
आईने के सामने से हट गया |
आईना कों जब हमने उसके
उसूलों को समझाया तो
वह कुपित होकर
चकनाचूर हो गया |
||सविता मिश्रा ||
बहुत खूब
अच्छी क्षणिकाएं !