गीतिका/ग़ज़ल

सिर्फ़ आंसू ही सही कुछ मगर दिया तूने

मिरे वज़ूद को दिल का जो घर दिया तूने
इश्क़ की राह को आसान कर दिया तूने
ख़लिश मैं ओस की महसूस करूं फूलों में
दिल के एहसास को कैसा असर दिया तूने
रहेगी याद ये सौग़ात उम्र भर तेरी
सिर्फ़ आंसू ही सही कुछ मगर दिया तूने
न कोई नक्श-ए-पा है न कोई मंजिल के निशां
मेरी हयात को ये रहगुज़र दिया तूने
ख़ुद अपने घर में ही मेहमान हो गया है ‘नदीश’
मेरे एहसास को ऐसा सफ़र दिया तूने

 

3 thoughts on “सिर्फ़ आंसू ही सही कुछ मगर दिया तूने

  • सुधीर मलिक

    उम्दा

  • प्रिया वच्छानी

    बेहतरीन

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !

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