गीतिका/ग़ज़ल

अच्छा नहीं लगता

मंज़र दिल का उदास अच्छा नहीं लगता तुम नहीं होते पास अच्छा नहीं लगता तेरी क़दबुलन्दी से नहीं इनकार कोई लेकिन छोटे एहसास, अच्छा नहीं लगता जैसे भी हैं हम रहने दो वैसा ही हमको बनके कुछ रहना खास अच्छा नहीं लगता जब से तेरी यादों ने बसाया है घर दिल में ये क़ाफ़िला-ए-अन्फास अच्छा […]

गीतिका/ग़ज़ल

नींदों में बेचैनी सी हरदम दिखती है

धुंधला धुंधला अक़्स, ख़ुशी कम दिखती है ये आँखे जब आईने में नम दिखती है आ तो गया हमको ग़मों से निभाना लेकिन हमसे अब हर एक ख़ुशी बरहम दिखती है आँखों में चुभ जाते हैं ख़्वाबों के टुकड़े नींदों में बेचैनी सी हरदम दिखती है आसमान कितना रोया है तुम क्या जानो तुमको तो […]

गीतिका/ग़ज़ल

झूठे हुए वादा ओ कसम देखते देखते

टूटा मेरी वफ़ा का भरम देखते देखते झूठे हुए वादा ओ कसम देखते देखते किस तरह बदलते हैं अपना कहने वाले लोग जीते हैं तमाशा ये हम देखते देखते चर्चा रस्मो-रवायत का अब करें किससे भला बदला है किस तरह से अदम देखते देखते होते हैं रोज़ मोज़िजा कैसे कैसे प्यार में खुशियाँ बनने लगी […]

गीतिका/ग़ज़ल

जहाँ पे दर्द ने जोड़े नहीं कभी रिश्ते

कितना ग़मगीन ये आलम दिखाई देता है हर जगह दर्द का मौसम दिखाई देता है दिल को आदत सी हो गई है ख़लिश की जैसे अब तो हर ख़ार भी मरहम दिखाई देता है तमाम रात रो रहा था चाँद भी तन्हा ज़मीं का पैरहन ये नम दिखाई देता है जहाँ पे दर्द ने जोड़े […]

गीतिका/ग़ज़ल

नफ़स नफ़स में वो कितना बवाल था

शबे-वस्ल तेरी हया का कमाल था सुबह देखा तो आसमां भी लाल था कटे हैं यूँ हर पल ज़िन्दगी के अपने नफ़स नफ़स में वो कितना बवाल था जवाब देते अहले-जहां को तो क्या तुझी से वाबस्ता हर एक सवाल था चमकता है जो मेरी आँखों में अब भी वो रूहानी पल जो लम्हा-ए-विसाल था […]

गीतिका/ग़ज़ल

वफ़ा से भरी हो नज़र चाहता हूँ

मुहब्बत में अपनी असर चाहता हूँ वफ़ा से भरी हो नज़र चाहता हूँ तेरा दिल है मंज़िल मेरी चाहतों की नज़र की तेरी रहगुज़र चाहता हूँ रहो मेरी आँखों के रु-ब-रु तुम बस ऐसी ही शामो-सहर चाहता हूँ कभी बांटकर, मेरी तनहाइयों को अगर जान लो, किस कदर चाहता हूँ वफ़ा दौर-ए-हाज़िर में किसको मिली […]

गीतिका/ग़ज़ल

है ऐसा या वैसा या जैसा ‘नदीश’

भला है बुरा है, है अपनी जगह मेरा फ़ैसला है, है अपनी जगह ज़माना भले बेवफ़ा हो मगर अभी भी वफ़ा है, है अपनी जगह नहीं प्यार कुछ भी सिवा प्यार के तेरा सोचना है, है अपनी जगह नज़ारे हसीं लाख दुनिया के हों सनम की अदा है, है अपनी जगह मुलाकातें उनसे हुईं तो […]

गीतिका/ग़ज़ल

अपने होने के हर एक सच

अपने होने के हर एक सच से मुकरना है अभी ज़िन्दगी है तो कई रंग से मरना है अभी तेरे आने से सुकूं मिल तो गया है लेकिन सामने बैठ ज़रा मुझको संवरना है अभी ज़ख्म छेड़ेंगे मेरे बारहा पुर्सिश वाले ज़ख्म की हद से अधिक दर्द उभरना है अभी निचोड़ के मेरी पलक को […]

गीतिका/ग़ज़ल

जब भी यादों में

जब भी यादों में सितमगर की उतर जाते हैं काफिले दर्द के इस दिल से गुजर जाते हैं तुम्हारे नाम की हर शय है अमानत मेरी अश्क़ पलकों में ही आकर के ठहर जाते हैं इस कदर तंग हैं तन्हाईयां भी यादों से रास्ते भीड़ के तन्हा मुझे कर जाते हैं किसी भी काम के […]

गीतिका/ग़ज़ल

खोया है कितना, कितना हासिल रहा है वो

खोया है कितना, कितना हासिल रहा है वो अब सोचता हूँ कितना मुश्किल रहा है वो जिसने अता किये हैं ग़म ज़िन्दगी के मुझको खुशियों में मेरी हरदम शामिल रहा है वो क्या फैसला करेगा निर्दोष के वो हक़ में मुंसिफ बना है मेरा कातिल रहा है वो पहुँचेगा हकीकत तक दीदार कब सनम का […]