राजनीति

उपचुनाव परिणाम सभी दलों के लिए चेतावनी

केंद्र में भाजपा गठबंधन की सरकार बनने के बाद नौ प्रांतों की 33 विधानसभा व तीन लोकसभा चुनाव परिणामों की देश में व्यापक समीक्षा की जा रही है। राजस्थान में तीन , उप्र में 8 व गुजरात में तीन सीटों पर भाजपा की हार को इस प्रकार से प्रसारित किया जा रहा है कि जैसे कि मानों भाजपा लोकसभा के चुनाव बुरी तरह से हार चुकी है। राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन बैठे हैं। भाजपा के लिए यह हार केवल आने वाले दिनों के लिए एक बेहद कड़ा सबक है। उपचुनावों में भाजपा को मिली पराजय से यह उम्मीद नहीं पालनी चाहिये कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में किसी प्रकार की कोई गिरावट आ गयी है। तथाकथित सेकुलर भक्तों ने भाजपा की असोम, बंगाल व छत्तीसगढ़ की एक सीट पर हुई विजय को छिपाने का प्रयास किया है।

भाजपा के लिए सबसे आश्चर्यजनक पराजय राजस्थान की अवश्य रही है। इन उपचुनावों में भाजपा की पराजय के कई बड़े फैक्टर एक साथ पैदा हो गये थे। राजस्थान में भाजपा की पराजय का सबसे बड़ा कारण पार्टी की गुटबाजी व आलस्य रहा है। वैसे भी इतने बड़े चुनावों के सम्पन्न होने व केंद्र में नई सरकार के पदारूढ़ होने के बाद व्यवस्था परिवर्तन का दौर चल रहा है। अभी तो नयी सरकार और नया प्रधानमंत्री अपनी प्राथमिकतायें और कार्यक्रम तय करने में व्यस्त हैं। दूसरी तरफ भाजपा को अभी- अभी नया राष्ट्रीय अध्यक्ष व नयी कार्यकारिणी प्राप्त हुई है। यह बात अलग है कि अभी तक जबकि नयी कार्यकारिणी की पूर्ण बैठक तक नहीें हुई हैें तथा उसको अभी पार्टी व संगठन के लिए बहुत कुछ करना है उस समय उसको तत्काल उपचुनावोें व विधानसभा चुनावों का सामना करना पड़ रहा है।हां उत्तर प्रदेश ने जरूर भाजपा के लिए चिंता की लकीरें खींच दी है। लेकिन राजनीति व खेल के क्षेत्र में एक बात सदा कही जाती है कि लगातार कोई भी दल विजयी नहीं रह सकता। कोई खिलाड़ी हर मैच हमेशा नहीे जिता सकता।

लोकसभा चुनावों के पूर्व भाजपा के लगभग यही हालात थे जोकि उपचुनावों में सामने आये हैं। भाजपा का बड़ा से बड़ा नेता या सर्वेक्षणकर्ता उप्र में भाजपा को 35 से 40 सीटों से अधिक नहीं दे रहा था। लेकिन तभी अमित शाह को उप्र की कमान सौपी गयी और उन्होनें व मोदी लहर ने कमाल कर दिखाया । लेकिन अब परिस्थितियां एक बार फिर बदली हैं। अमित शाह को उनकी मेहनत का प्रतिफल मिल गया । उप्र भाजपा फिर पुरानी स्थिति में अचानक पहुंच गयी। भाजपा को ग्यारह मेें से आठ सीटों पर हराकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा मुखिया मुलायम सिंह, सपा नेता आजम खां व शिवपाल यादव सरीखे नेता अहंकार पूर्ण भाषा बोलनें लग गये हैं। इन नेताओं को लग रहा है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह बहुत जल्द प्रधानमंत्री बन जायेंगे। प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा के खिलाफ जहर उगलने वाली भाषा बोली जा रही है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिये कि जनता का मूड किस कदर तेजी से इधर से उधर हो रहा है। प्रदेश की जनता ने उनको एक अच्छा अवसर प्रदान किया है। केंद्र सरकार के साथ तालमेल बैठा करके प्रदेश की जनता के अच्छे दिन लाने के लिये। वैसे भी अब जनता हर चीज को काफी गहराई से समझ रही है। सपा के नेतागण बयान दे रहे हैं कि, ”अच्छे दिन के अच्छे परिणाम आ गये“। दूसरा बयान आया कि लव जेहाद डूब गया और समाजवाद जीत गया। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी और शिवपाल यादव ने कहाकि अब 2017 में हमारी सरकार बनेगी। वहीं भाजपा की पराजय पर रालोद नेता कुछ अधिक ही खुश होकर उछल रहे हैं। यह तथाकथित सेकुलर नेताश्लोकसभा चुनावों अपनी पराजय को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। यह लोग मोदी व भाजपा को किसी न किसी प्रकार से अपमानित व हतोत्साहित करना चाह रहे हैें।

उप्र मेें भाजपा की पराजय का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि बसपा चुनाव मैदान में नहीं उतरी। कांग्रेस पूरी ताकत से नहीं लड़ी। लिहाजा कांग्रेस व बसपा के कैडर ने अपना सारा का सारा वोट सपा को दे दिया। यह मत स्थिरता व विकास के लिए था। जनता को यह अच्छी तरह से पता था कि इस समय इन ग्यारह सीटों के परिणामों का कोई असर नहीें पड़ने वाला है। इससे न तो सरकार गिरेगी और नही बनेगी। वैसे भी प्रदेश की जनता अब समाजवादी सरकार से उसी तरह से ऊब चुकी है जैसे कि वह केंद्र में मनमोहन सरकर से ऊब चुकी थी। जनता अब विचार कर रही है कि अगले विधानसभा चुनावों में तो सपा को जाना ही जाना है वह पूरी तरह से तैयार है। उसे केवल अवसर प्राप्त होने की देरी है। प्रदेश में भाजपा की पराजय का एक और बड़ा कारण यह रहा कि भाजपा के बड़े नेताओं व विजयी सांसदों तक ने इन चुनावों को कोई विशेष महत्व नहीं दिया था। कार्यकताओं मेें भी आलस व गुटबाजी व उम्महीदवारों का चयन भी एक हार का कारण रहा है। जबकि सपा के सामने अपनी इज्जत बरकार रखने का काफी गहरा दबाव था जिसमें वह काफी हद तक सफल रही है। लेकिन तब जब सपा का पूरा का पूरा वंशवाद व सरकार अमला पूरी तरह से सपा को जिताने के लिए जुट गया। प्रशासन की एकतरफा कार्यवाही व मौसम ने भी सपा का साथ दिया।

सपा नेता यह समझ रहे हैं कि लव जेहाद हार गया है। जबकि वास्तविकता यह नहीं हैं। लव जेहाद जनता के बीच एक बिलकुल नया मुद्दा है। वहीं योगी आदित्यनाथ अभी भी गोरखपुर मंडल में ही नेता हैं। पूरे उप्र में उनका अपना व्यापक जनाधार नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर अब जनता केवल विकास के नारे को ही अपना रही हैं। जो विकास के नारे से भटकेगा वह हार जायेगा। यह बात बिलकुल सही है कि लवजेहाद एक बहुत बड़ी गम्भीर समस्या है इस पर अभी योगी को वोट नहीं मांगने चाहिये थे। उन्हें केवल और केवल मोदी सरकार के अच्छे कामों और विकास माडल का ही प्रचार करना चाहिये था। वैसे भी अभी हिंदुत्व केे कई बड़े एजेंडे राजनीति मेें सामने आने हैं। यह सभी प्रकरण प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में निश्चय ही हल होंगे तब तक यह सेकुलर दल पूरी तरह से तबाह हो चुके होंगे।

इस समय प्रदेश में भाजपा को जरूरत है एक युवा और सशक्त नेतृत्व की। जिसके अंदर सबको साथ लेकर चलने की क्षमता हो। अगर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उप्र को एक सक्षम व जनता को आकर्षित करने वाला नेतृत्व प्रदान कर देता है तो वह दिन दूर नहीं जब उप्र में भी भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी और राम मंदिर निर्माण सपना भी वर्तमान सरकार के कार्यकाल में पूरा हो जायेगा। इलेक्ट्रानिक मीडिया में इन चुनाव परिणामों पर भाजपा सरकार भाजपा को खूब जमकर कोसा जा रहा है जबकि सोशल मीडिया में कार्टूनों के माध्यम से मजाक भी बनाया जा रहा है जोकि बेहद आपतिजनक है। राजनीति में तो हार- जीत लगी रहती है नेता व दल आते जाते रहते हैं। लेकिन विकास का पहिया आगे ही बढ़ते रहना चाहिये।

प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में कह भी चुके हैं कि वे हवा के झोेंको से इतनी आसानी से उड़ने वाले नहीं हैं। देश की जनता व समीक्षकों को कुछ न कुछ धैर्य तो रखना ही पड़ेगा। आखिर कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने 67 सालों में कौन सा कमाल कर दिखाया। अगर पिछली सरकारों ने तुष्टीकरण छोड़कर केवल विकास की बात की होती तो आज देश व प्रदेश का यह हाल हुआ होता। हां, यह बात अवश्य है इन चुनाव परिणामों ने भाजपा की नयी कार्यकारिणी व अध्यक्ष को एक आईना अवश्य दिखा दिया है तथा नसीहत दे दी है। सभी नेताओं व कार्यकर्ताओं को अब बराबर जमीन पर रहकर विकास करना होगा। लगातार मेहनत करनी होगी, जनता के बीच बराबर संवाद कायम रखना होगा। हर चुनाव मोदी जी जिताने नहीं आयेंगे।

उपचुनावों में सबसे अच्छी खबर पश्चिम बंगाल से रहीं जहां एक सीट भाजपा ने जीतकर और दूसरी सीट पर दूसरे स्थान पर रहकर यह साबित कर दिया कि वह आने वाले दिनों में ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ गयी है। असोम में भी भाजपा की स्थिति लगभग ठीक रही। छत्तीसगढ केे मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपनी पोजीशन बरकरार रखी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यदि हरियाणा और महाराष्ट्र में अपनी सरकारें बनवाने में सफल हो जाते हैं तो उन्हें उप्र व बिहार में भाजपा को मजबूत बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जायेगा। वैसे भी मोदी जी का कांग्रेसमुक्त भारत का सपना तभी पूरा होगा जब उप्र, बिहार, बंगाल व महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उनकी अपनी सरकारें बन जायें । वैसे भी जिस दिन जम्मू कश्मीर में भाजपा नेतृत्व की सरकार बन गयी तो आधी समस्या का समाधान हो जायेगा।

One thought on “उपचुनाव परिणाम सभी दलों के लिए चेतावनी

  • विजय कुमार सिंघल

    चुनाव परिणामों का सही विश्लेषण किया है.

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