~ गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ~
गुस्से से गुस्से की हो गयी जब तकरार
जिह्वा भी गुस्से की भेंट चढ़ खाए खार
द्वेष में बोले एक तो दूजा बोले चार
बेचारी जिव्हा हो गई शर्मसार
दो कटु वक्ता की आपस में रार हो गयी
गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ……….
बकने लगे एक दूजे को
उद्धत है अब चढ़ बैठने को
गुब्बार निकालते-निकालते
अचानक शुरू हो गयी मारम-मार
एक चलाए हाथ दूजा करे पैर से वार
देखते-देखते कुटमकाट हो गयी |
गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ……….
एक ने फोड़ा सर दूजे ने तोड़ा हाथ
आपस में काटम काट हो गयी
एक ने उठाई लाठी दूजा चलाये पत्थर
देखते ही नदियाँ खून की बह गयी |
दो लड़ाकुओ में लड़ाई हो गयी
गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ……..
जब तक आपस में लड़ थक चूर ना हुए
धूल धरती का चाटने को मजबूर ना हुए
तब तक एक दूजे के खून के रहे प्यासे
भीड़ खड़ी देखती रही सारे तमाशे
मानवता यहाँ शर्मसार हो गयी |
गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ……..
गुस्से से तमतमा खो गयी सहनशक्ति
आपस में खूब हुई रोष में गुथमगुत्थी
द्वेष ने न जाने कब उठाया सर
छोटी सी बात का बन गया बतंगण
क्रोध ने तूफान कर दिया खड़ा
आपस में ना जाने क्यों लड़ा
नासमझी में रार हो गयी
गुस्से से गुस्से की तकरार हो गयी ……
आया होश तो शर्म से हो गयी नजरे नीची
अपनी करनी पर हुआ पश्चाताप तब
गाली गलौज हुई ख़त्म कब हाथापाई पर
गुस्से पर गुस्सा प्रभावी ना जाने हुआ कब
गुस्से से गुस्से की तकरार जब हुई
आपस में असहमति ना जाने कब हुई
गुस्से से गुस्से की टकराव हुई
तकरार हुई ….सविता मिश्रा
बहुत सुन्दर कविता , सविता जी | क्रोध वाक्य ही विनाशकारी होता है यह इंसान को शैतान बना देता है |
शुक्रिया आपका दिल से
बहुत खूब ! अधिकांश लड़ाई झगडे निरर्थक क्रोध और अहंकार के कारण होते हैं.
बहुत बहुत आभार भैया ..सही कहें आप
अच्छी कविता , यह कुछ लोगों की फितरत ही है कि छोटी सी बात को बतंगड़ बना कर लड़ाई शुरू कर देते हैं , और होश तब आता है जब दोनों का नुक्सान हो जाता है .
आभार दिल से भैया आपका 🙂