”प्रियतम का इंतजार ”
निः शब्द शांत मन में मचल रहा है
प्रेम तुम्हारा अपार,
सांसों का हर लम्हा कर रहा
प्रियतम का इंतजार ……
जीवन के स्वप्निल पथ पर
खड़ी-खड़ी याग सोंचूं
जाने कब कब पूरा होगा सपना मेरा
निशिदिन जो मैं देखूँ……
है मेरे मन में कब से ये मनुहार ,
सांसों का हर लम्हा कर रहा
प्रियतम का इंतजार ……
खिली चांदनी है नभ पर
मचल-मचल इठलाती ….
पूर्णमासी की खिली चाँद है
प्रेम सुधा बरसाती …..
कर दो इस पावन मन को
करके वादे हजार ….
सांसों का हर लम्हा कर रहा
प्रियतम का इंतजार ……..!!
बहुत सुन्दर कविता. पढ़कर मन प्रसन्न हो गया.