किन्नर समुदाय हमेशा से हमारे समाज में चर्चा का विषय रहे हैं ,ज्यादातर लोग इनके नाम से ही दहशत में आ जाते हैं जबकि करीब से महसूस करने पर इनके अन्दर भी असीमित पीड़ाएं हैं जिसे ये अपने अन्दर समेटे हैं | शादी-विवाहों और बच्चों के जन्म जैसे ख़ुशी के अवसरों पर नाचते-गाते किन्नर आपको […]
Author: संगीता सिंह 'भावना'
मन का मौसम कविता बन जाये
एक उदास सी शाम में, अंधेरों के पीछे से , जब शिद्दद्त से महसूस किया मैंने एक अधूरी याद का निकलकर मेरे वजूद से , आ चिपकना ……! सच मानिये, बीती यादों का काफिला , आँखों से होकर गुजरने लगे कुछ इस तरह , जैसे , साकार हो उठे वास्तविक सच ! जहाँ मैं जी […]
कविता : ‘सुर्ख गुलाब’
हवाओं में , बिखरी है एक खास महक जैसे बिखेर दिया हो कोई अनगिनत सुर्ख गुलाब ……….! रेत के घरौंदों से, उठने लगी है सोंधी खुशबू जो तुम्हारे होने की गवाही देती है चहुँओर फैली है एक मादक गंध जो प्रेम की सबसे प्रगाढ़ स्वरुप की व्याख्या करती है शब्दकोश के चुनिन्दा शब्दों को चुनकर […]
कविता- बेरंग फागुन की तरह
बिखरी हुई कविताओं के साथ , यूँ ही जब होती हूँ दो-चार अनायास ही बढ़ जाती है ललक कुछ नया व् अप्रतिम रंग भरने की ..! पर कुछ कशमकश ,, जो चलते हैं संग-संग कुछ उलझ गये,जो कभी ना सुलझे, कुछ भटक गये,जो कभी ना मिले ,,, खो गए हैं जो दुनियां की भीड़ में […]
बदल रहे हैं विवाह के मायने
शादियों का मौसम है ,हर तरफ ढोल नगाड़े,शहनाइयों की धुन है पर एक बात जो सबसे अहम् है वो यह है कि अब शादी कोई सामाजिक परंपरा नहीं रही बल्कि एक साथी की तलाश बन गई है ,जो भले ही हर क्षेत्र में परफेक्ट न हो,लेकिन खुली सोच जरूर रखता हो | शादी न सिर्फ […]
अनमोल यादें
सांझ की सरगोशी में लिपटे हुए ये अनमोल यादें ,,,,,, आज भी सुरक्षित हैं किसी बेशकीमती नगीने की तरह ……….. अक्सर जब बारिश की बूंदों संग लहराती है मदमस्त पवन दिल के हर कोने में बज उठते हैं असंख्य मधुर झंकार ……….. जब कभी देखती हूँ ,स्वर्ग से उतरती हुई भोर संग अनगिनत किरणें ,,, […]
लुप्त होते साझे चूल्हे
भारतीय सभ्यता और संस्कृति की नायाब पहचान ‘संयुक्त परिवार’,जिसमें बुजुर्गों की छत्र- छाया होती थी और उस छत्रछाया के अंदर पनपता था हमारा संस्कार,हमारी पहचान | पर आधुनिकता व प्रगतिशीलता की अंधी दौड़ में हमसे यह स्तम्भ छिनता जा रहा है और हम नवीनीकरण और आधुनिकीकरण की मजबूत डोर में जकड़ते जा रहे है | […]
”सैलाब बह गया”
कल फिर किसी ने ,दुखती रगों पर हाथ रख गया ,,,,,, शांत सी पड़ी झील में, फिर कोई तूफान मचलने लग गया ……… वक्त के बेहिसाब झोंकों ने ,फिर से बेरहमी का सबूत दिया ,,, अगर पीछे मुड़कर देखती तो ,शायद बात ही कुछ और होती …… पर अब सबकुछ बदल बदल गया अब तो […]
मैंने देखा है
तुम्हारी आँखों में मैंने देखा है ,एक उम्मीद शायद बहुत ही करीब से जब मैं गुजरी हूँ तुमसे होकर ….. और ही बहुत ही ऐसे मोड़ जो दुख और उदासी के डगर से होकर जाती ही तुम तक ………. मेरी भी आँखों में एक मूरत जो याद दिलाते हैं हर पल तुम्हारे होने की भीनी […]
तुम्हारी होना चाहती हूँ…
जब से तुमसे मिली हूँ हर पल यही सोचती हूँ काश हो कोई जादू का पिटारा जो खोल दे मेरे भाग्य का सितारा और बन जाऊँ, तुम्हारे ख्वाबों की मल्लिका बिखर जाऊँ तुम्हारे स्नेह के इर्द-गिर्द और खिल उठूँ तुम्हारे बागों में एक दिन बनकर एक सुखद एहसास ……….. हाँ, मैं तुम्हारी होना चाहती हूँ […]