कविता

मैंने देखा है

तुम्हारी आँखों में

मैंने देखा है ,एक उम्मीद

शायद बहुत ही करीब से

जब मैं गुजरी हूँ तुमसे होकर …..

और ही बहुत ही ऐसे मोड़ जो

दुख और उदासी के डगर से होकर

जाती ही तुम तक ……….

मेरी भी आँखों में एक मूरत

जो याद दिलाते हैं हर पल

तुम्हारे होने की भीनी खुशबू

क्या तुमने भी देखा है इन आँखों के

गहरे समंदर को ,,,

जो रहती है खामोश सदा और बरबस ही कभी

बरस पड़ती हैं बिन बादल बरसात की तरह ……..||

संगीता सिंह ‘भावना’

संगीता सिंह 'भावना'

संगीता सिंह 'भावना' सह-संपादक 'करुणावती साहित्य धरा' पत्रिका अन्य समाचार पत्र- पत्रिकाओं में कविता,लेख कहानी आदि प्रकाशित

One thought on “मैंने देखा है

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

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