माँ सुन मेरी भी पुकार …..
हे माँ सुन ले मेरी भी पुकार
कर दे मेरे जीवन का तू उद्धार !!
दिल से मेरे नफरत मिटा दे
प्यार-प्रेम के बस फूल तू खिला दे !!
पापों से मुझको मुक्त कर दे
आचरण को मेरे तू शुद्ध कर दे !!
किसी के कुछ काम आ सकूँ
ऐसी मुझ में माँ तू शक्ति भर दे !!
हैं लाख बुराईयाँ मुझमें ऐ माँ
हाथ रख सर पे तू मुझे निर्मल कर दे !!
मिट जाये अज्ञान का ये तम घनेरा
जो अपने चरणों में तू मुझे शरण दे दे !!
जय माँ अम्बे हे माँ जगदम्बे जय भवानी
देकर आशीष मुझे तू धन्य कर मेरी जिंदगानी !!
……. प्रवीन मलिक……
अच्छी कविता , अगर किसी की सोच ही यह है तो इंतज़ार करने की जरुरत नहीं है, बस अछे रास्ते पर जाना शुरू हो जाए तो शक्ति भी खुब्खुद मिल जायेगी .
बढ़िया कविता. जय माता दी !