किसकी आँखों ने देखा
अधरों पर मुस्कान देख कर लगता है सब मंगलमय है
सीने में कितना दर्द छिपा है यह किसकी आँखों ने देखा
मुख से मीठे वचनो की सरिता सुनने में कितनी शीतल ,
दिल में कितना जहर भरा है यह किसकी आँखों ने देखा
आवभगत की हाथ जोड़ कर लगा किया अभिवादन मेरा,
मन में कितना द्वेष भरा है यह किसकी आँखों ने देखा
मुझको अपना मित्र बताते यह सब मतलबी दुनिया वाले ,
पर मेरी मज़बूरी का आलम इन ज़ालिम यारो ने कब देखा ,
जब मैं हँसता हूँ महफ़िल में, मेरे इर्द गिर्द सब हंसने वाले,
मेरी अविरल तन्हाइयों में मुझे अश्रु बहाते किसने देखा,
हमने सब भूल भाल कर प्रभु चरणों में ध्यान लगाया
पर प्रभु कृपा से गम की रातों को भी हमने उज्ज्व्वल देखा
वही सहारा है इक सच्चा ,अब जिसको इसका ज्ञान हो गया
उसने जीवन के हर पल में, सुख चैन का दीपक जलते देखा,
१०/१०/२०१४ –जय प्रकाश भाटिया
इस में गेहराई है , बहुत खूब .