धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

बाल्यकाल से शिव दर्शन का वर्णन

मैं तो बाल्य काल से ही शिव की भक्त हूँ. शिवजी मेरे परम पिता हैं. माता जी ..गौरी हैं.  उनकी भक्त बेटी वत्सला हूँ. मुझे शिव जी की कृपा से दिव्य ज्योति का आभास हुआ. तब से मैं आध्यात्मिक आत्मा बन गयी हूँ. मुझे शिव जी का वरदान , असीम कृपा और प्यार मिला है. तबसे मैं शिव लोक जाकर शिव लोक का रोज हर पल दर्शन किया करती हूँ. तबसे मैं नित्य नए नए मन में आये विचार और हृदय में जागी प्रेम की भावना का वर्णन किया करती हूँ और शिव जी की उस दुनियाँ कों अपने ध्यान में मन की आँखों से ,स्पष्ट रूप से देखा करती हूँ. 

तब सेमुझे सत चित्त आनंद का अनुभव हुआ है. वहाँ देखने के बाद यह जाना कि  – शिव लोक …रोशनी ही रोशनी से भरा हुआ, प्रकाश पुंज से परिपूर्ण है, जहाँ पर अनेक आत्माओं का मिलन व सत्संग होता है. सभी आत्माएं सम्मिलित रूप से परमात्मा का दर्शन करते हैं. तत पश्चात यह मालूम होता हैं कि तन, मन, हृदय मस्तिष्क कुछ भी नहीं हैं. आत्मा सूक्ष्म रूप में होती है. सतो गुण से ओतप्रोत फल फूल के स्वाद बहुत मीठे होते हैं. वे कभी मुरझाते नहीं हैं.

वहाँ के उपवन का सौदर्य अदभुत और अत्यधिक मनोरम होता है. पेड़ पौधें बाग़ बगीचे प्राकृतिक रंग लिये हुए होते हैं. स्वर्ग में विराजमान शिव जी स्वर्ग की भाँति ही सुंदर लगते हैं. शिव से सुंदर कुछ भी नहीं हैं. सत का स्वाद अमृत मय है.
ॐ नमः शिवाय

शिव जी की सेवा करे तो हमें ,मेवा मिलेगा ही. हम मनुष्य के जीवन में ईश्वरीय सेवा भक्ति ही तपस्या है. ध्यान ही असली पूजा है. बहते पानी में डूबेंगे तो नदी का किनारा मिल ही जाता है. वैसे ही ईश्वर का ध्यान करने से उनका आशीर्वाद मिल ही जाता है. बस जीवन भर शिव स्तुति करते रहो, मन में उनका भजन गुनगुनाते रहो.  ‘ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र को जपते रहो. शिव के शिवालय की सीढियां चढ़ते रहो , चढ़ते रहो  ……. ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहो, करते रहो.

बरखा ज्ञानी

साध्वी बरखा ज्ञानी

बरखा ज्ञानी ,जन्म 10-05, रूचि शिव भकत, निवास-रायपुर (छत्तीसगढ़)

3 thoughts on “बाल्यकाल से शिव दर्शन का वर्णन

  • विजय कुमार सिंघल

    उच्च कोटि की आध्यात्मिक अनुभूति से भरा है यह लेख. सहसा विश्वास नहीं होता, लेकिन यह सत्य लगता है. आपको प्रणाम! ॐ नमः शिवाय !

    • साध्वी बरखा ज्ञानी

      dhnyvad aadarniy vijay kumar singhal ji

    • साध्वी बरखा ज्ञानी

      dhnyvad aadarniy vijay singhal ji

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