धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

सर्पफणी और सर्परागिनी ..की गाथा {स्वप्न चित्रण }

मूलाधार चक्र के उदगम से पतली एक गर्म धारा सुषुम्ना की ओर चल पड़ी   मुस्कुराते हुए  आये देखो अब मेरे मन को लुभाने सप्त रंगी संगी सर्पफणी   मैं तत क्षण बन जाती सर्परागिनी सर्पफणी कहते आओ करे खेल -खेल में नृत्य मैं भी लहराती बन एक लचीली सर्पिणी   विलग करने मन को […]

कविता

महा ध्यान

कांच की दीवार को फांद पहुच गयी थी मैं उस पार मैं थी नदी की सतह पर बैठी ऊपर तट पर था एक मंदिर नदी के भीतर जल रही थी एक ज्योति मैंने पूछा था स-आश्चर्य कैसे जल रही ज्योति जल में बताया शून्य ने यही तो हैं ईश्वर की शक्ति अपार जो मानव करेंगे […]

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मेरे मंदिर में शिव जी करते हैं निवास

मेरे मंदिर में शिव  जी करते हैं निवास  दिव्य ज्योति जलती हैं दिन रात  लौ के भीतर प्रगट होते हैं नागराज  शिव जी का करती हैं जाप  मेरी हर धड़कन हर साँस  मेरे मंदिर में शिव  जी करते हैं निवास    कभी बन जाते हैं गुलाब  कभी रूप धर आते हैं  चन्द्रमा का अर्ध वृताकार  कभी श्रीफल […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

बाल्यकाल से शिव दर्शन का वर्णन

मैं तो बाल्य काल से ही शिव की भक्त हूँ. शिवजी मेरे परम पिता हैं. माता जी ..गौरी हैं.  उनकी भक्त बेटी वत्सला हूँ. मुझे शिव जी की कृपा से दिव्य ज्योति का आभास हुआ. तब से मैं आध्यात्मिक आत्मा बन गयी हूँ. मुझे शिव जी का वरदान , असीम कृपा और प्यार मिला है. तबसे मैं शिव लोक जाकर शिव लोक का रोज हर पल दर्शन […]

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छोटा सा मेरा जीवन

  शिव शिवा को मेरे उदगार हैं अर्पण जिंदगी को कैसे लिखूं मैं मेरा सच जैसे खुली हुई हो मेरे हृदय की किताब पढ़ लो सब ..मेरे मन की बात मैं मन ही मन शिव जी पर छंद रचूं रचती ही जाऊं ..रचती ही जाऊं आते हैं वे शिव भक्तों को पसंद क्षण क्षण लिखती […]

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नैन हमारे देखे

नैन हमारे देखे हे शिव जी  नैन हमारे देखे  हज़ारों सपने तुम्हारे  कोई जाने ना  जागे जागे सोये सोये  कोई पहचाने ना    सच सच है यह बात  तुम ही तो जानोगे ना सिर्फ शिव जी  मैं भक्त वत्सला  हज़ारों सपने  अपने हृदय में पिरोई शिव नाम का  कभी याद कर रोई कभी सामने देखकर हंसी  कभी आनंद से […]

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कहते मुझसे शंकर भगवान्

कहते मुझसे शंकर भगवान् मेरे नयन से बहे  नीर नीर  हो गयी मैं पीर पीर  हृदय में भर आये क्षीर क्षीर  हे शिव जी  मेरा  तुमसे विशेष हो गया है लगाव  मुझ पर ऐसा पड़ा है भक्ति भाव का प्रभाव  मै  हो गयी हूँ शिव की शिवरी  हो गयी शिव जी की बावरी  अब मुझे और  कुछ […]

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“मैं वो एक परिंदा हूँ “

“मैं वो एक परिंदा हूँ “हे शिव जीतुम मेरे हो ,मै तुम्हारी हूँबस इसी भ्रम मेंमैं ज़िंदा हूँहर हर शिव महादेवमै ध्यान में जीती हूँ ,ध्यान में मरती हूँमै वो एक परिंदा हूँजो ..शिव के स्वर्गलोक उड़ उड़ कर जाए बारम्बारवही की मै वासिन्दा हूँशिव जी मैंने जबसे देखा हैं तुम्हारी छवितबसे हो गयी हूँ […]

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शिव मंदिर {ध्यान }

शिव मंदिर की सफ़ेद छत हैं और सोने की हैं दीवार फर्श पर बिछा रहता हैं सुनहरा प्रकाश उपस्थित आत्माओं की श्वेत पंखुरियों सी होती हैं पोशाक बजते हैं पखावज मृदंग की होती हैं संग मे थाप नृत्य करते हैं सभी मिलजुलकर एक साथ तभी आकर महादेव होते हैं झूले पर विराजमान कुछ देर उपरान्त […]