कविता

मैं क्यों उसे चाहने लगा हूँ”

मैं क्यों उसे चाहने लगा हूँ

मेरी हथेलियों पर बनी वो अब
नयी एक भाग्य रेखा हैं
न मैंने उसे परखा
न उसने मुझे देखा हैं
बस उसकी आवाज़ को
मैने सुना है

फिर भी
शब्दों से बनी दो राहो ने
इस मोड़ से एक नए
पथ कों चुना हैं

जिसकी कोई मंजिल नहीं
इन्द्रधनुष के रंगों ने
हमें एक ही ख्याल में बुना हैं

कभी तुम मेरी कविता बन जाना
कभी लिखने के लिये गजल
मेरी याद कों तुम बार बार दुहराना
हमें जमीन पर रहकर ही
प्रेम के आकाश कों छूना हैं

देह के भीतर
बहता एक पाक दरिया हैं
सच कों पाने का
बस यही तो एक जरिया हैं

इसी जनम में
माया के छलों के भरम को
दूर करने के लिये
प्यार को जीकर
साबित करना पूरा हैं

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

4 thoughts on “मैं क्यों उसे चाहने लगा हूँ”

  • अंशु प्रधान

    देह के भीतर
    बहता एक पाक दरिया हैं
    सच कों पाने का
    बस यही तो एक जरिया हैं
    बहुत खूब
    बहुत खूब

  • विजय कुमार सिंघल

    कविता के भाव अच्छे हैं, पर स्पष्ट नहीं हैं. या शायद मेरी ही समझ में कमी है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता भाई साहिब .

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