गीतिका/ग़ज़ल

तेरा ख्याल मुझे…

तेरा ख्याल मुझे , तराश रहा है मेरे ह्रदय में , तेरा निवास रहा है परछाई बिना नहीं रह सकता जल तेरा साया सदा मेरे आसपास रहा है बून्द में सागर का ख़्वाब तो होगा ही तेरा , मुझे वैसा ही , अहसास रहा है मालूम नहीं कितने बार जन्मा हूँ मैं तबसे मेरा वजूद […]

क्षणिका

क्षणिकायें

1-वार्तालाप तुम ही मेरा सुर हो तुम ही हो मेरा आलाप मन ही मन तुमसे करता रहता हूँ मैं निरंतर वार्तालाप   २- स्मृति मेरे मन के भीतर बहती है स्मृति की एक अंतहीन नदी जिसके जल दर्पण में उभर आयी है तुम्हारी सुन्दर छवि ३-परवाह नदी पर्वत हो या राह सभी करते हैं मेरी […]

गीतिका/ग़ज़ल

हुस्न और इश्क़

हुस्न और इश्क़ की जोड़ी सदा सलामत रहे दोनों एक दूसरे की करते सदा इबादत रहे ये जिस्म तो सिर्फ रूह का खूबसूरत लिबास है हम दोनों के मन का पाक रिश्ता ता क़यामत रहे बहुत पास आकर भी मलिन हुआ नहीं हमारा मन दोनों के बीच कभी न कोई शिकवा न शिकायत रहे प्रेम […]

कविता

सरंक्षण

सूखा ,चक्रवाती तूफ़ान ,बाढ़ , सूनामी ,भूकम्प ,भूस्खलन ये हैं प्राकृतिक आपदा के उदाहरण परन्तु भूकम्प के बार बार आने का कुछ तो होगा कारण जल ,वायु ,मिटटी अशुद्ध हो चुके हैं नदियाँ सूख रही हैं भूमि के भीतर का जलस्तर घट रहा है जंगल कट रहे हैं ग्लोबलवार्मिंग की वज़ह से ओजोनपरत तेजी से […]

क्षणिका

क्षणिकाएं

  १-सागर मैं सागर हूँ तुम हो भरा हुआ मय कहूँ तो यही सच हय (सागर =प्याला ) २-कविता जब तक तुम हो तब तक मैं हूँ और तब तक है कविता ३-प्रेम जीवन खत्म हो जाता है प्रेम नहीं ४-खत संभाल कर रखा हूँ सारे खत पढ़ लिया करता हूँ जब जब सूना होता […]

गीतिका/ग़ज़ल

तुमसे मेरी….

तुमसे मेरी जब कभी बात होगी अमावश तब चांदनी रात होगी मुझे अपने दिल में बसा लिए हो न जाने तुमसे कब मुलाक़ात होगी खिजाँ और बहार तो आते ही रहेगें भींगी घटाओं से कब बरसात होगी ख्वाहिशे वस्ल लिए जन्म लूंगा जब तक ये सारी कायनात होगी मिलते ही बिछड़ गए हम तुम याद […]

कविता

प्यार इसे ही तो कहते हैं….

तुमने मुझे देखा जैसे देखा ही न हो तुम्हारी आँखों में मेरी परछाई थी तुमने मुझे सुना जैसे सुना ही न हो तुम्हारे कानों में मेरी आवाज गूंज रही थी तुम मुझसे मिले जैसे मिले ही न हो मैं सरापा तुम्हारे मन में था तुमने मुझे याद किया जैसे याद किया ही न हो तुम्हारी […]

कविता

कुछ मत बोलो

कुछ मत बोलो दीवारों के भी कान होते हैं -उसने कहा यदि वृक्ष, तितलियाँ  ,फूल सुन भी लेंगें तो क्या होगा -मैंने कहा प्यार के नि :शब्द होता है उसे अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता -उसने कहा उसे स्पंदन में ,नसों के भीतर प्रवाहित लहूँ  में महसूस किया जा सकता है हमारी आत्मा की देह […]

क्षणिका

क्षणिकाएं

1- निशाने पर उसी शहर उसी गली उसी मोड़ उसी ठिकाने पर हूँ मैं तेरी घायल कर देने वाली निगाहों के निशाने पर हूँ मैं २- तन्हाई नहीं है तेरे सिवा मेरा कोई तू ही तो है मेरी तन्हाई 3-हुस्न तेरे प्यार की ख़ुश्बू से महकने लगा हूँ तेरे हुस्न की आंच से दहकने लगा […]

कविता

जबसे तेरे मेरे दरम्यां…..

  जबसे तेरे मेरे दरम्यां और फ़ासिला बढ़ गया तबसे तुझसे मिलने के लिए हौसला बढ़ गया मेरे लिये तेरे बगैर जीना अब आसान नहीं है रहे तन्हाई में मेरे दर्द का काफिला बढ़ गया जुदा न कर पायेगा सारा जहां तुझे मुझसे मन में प्यार का अटूट सिलसिला बढ़ गया एक चिंगारी सी उड़ी […]